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मध्यप्रदेश: ज्योतिरादित्य सिंधिया के शामिल होते ही भाजपा में फूट!, नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के भी उड़े होश…

मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट के बीच अब भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई में भी नाटकीय मोड़ आ गया है। सूत्रों की मानें तो विधायक नरोत्तम मिश्रा और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के बीच दरार पड़ गई है. मंगलवार को हुए एक बैठक में विधायक नरोत्तम मिश्रा और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बीच दरार साफ दिखाई दी।

भोपाल में हुई बीजेपी विधायक दल की बैठक में नरोत्तम मिश्रा के समर्थन में नारे लगाए गए और चौहान की भूमिका पर सवाल उठाए गए। जब बीजेपी की बैठक थी इस दौरान कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं ने राजनीति में शिवराज के जूनियर नरोत्तम मिश्रा के पक्ष में नारे लगाए। इसके बाद इस तरह की राजनीतिक चर्चा मध्य प्रदेश में शुरू हो गई।

बता दें मध्य प्रदेश सरकार में संकट के मुद्दे पर मिश्रा और चौहान दोनों ने वर्तमान स्थिति में किसी भी भूमिका को बार-बार नकारते हुए कहा कि यह कांग्रेस की आंतरिक समस्या है। सूत्रों ने बताया कि नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश सरकार को अस्थिर करने में शामिल थे। सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने इस अभियान का नाम ‘रंगपंचमी’ रखा, क्योंकि वे चाहते थे कि सरकार होली पर गिरे। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा था, मैंने शिवराज सिंह चौहान और नरोत्तम मिश्रा पर कभी कोई आरोप नहीं लगाया है (लेकिन) मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर विवाद था। अब यह तय हो गया है कि एक मुख्यमंत्री होगा, दूसरा डिप्टी सीएम। बता दें शिवराज सिंह की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे मिश्रा दतिया से विधायक हैं। उन्होंने 1990 में पहली बार विधानसभा का चुनाव जीता था। मिश्रा बाबूलाल गौर की कैबिनेट में भी मंत्री रह चुके हैं।

बता दें फिलहाल 228 विधायकों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास अपने 114 विधायकों समेत 7 अन्य का समर्थन हासिल है, ऐसे में उनके पास 121 विधायक हैं। वहीं अगर इन इस्तीफा देने वाले 22 विधायकों की संख्या को विधासनभा की कुल सीटों में से घटा दें तो यह घटकर 206 रह जाएगी। ऐसे में बहुमत के लिए 104 सीटों की जरूरत होगी।

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