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ज़िला प्रशासनबिलासपुर

बिलासपुर: अति वृष्टि प्रभावित गांवों में आरबीसी-64 के तहत आर्थिक सहायता हेतु प्रकरण बनाने का निर्देश दिया कलेक्टर ने…

बिलासपुर। विगत दिनों से जिले के विभिन्न क्षेत्रों में हो रही अति वृष्टि के कारण प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता के लिये आरबीसी-64 के प्रकरण बनाने का निर्देश कलेक्टर डॉ.संजय अलंग ने दिया है। जिले के बिलासपुर, मरवाही, बिल्हा, मस्तूरी, कोटा विकासखंड में अतिवृष्टि होने से नदियों के आसपास के गांवों में जनजीवन प्रभावित हुआ है। इसको देखते हुए कलेक्टर द्वारा आज टीएल की बैठक में यह निर्देश दिया गया। बैठक में कलेक्टर ने मतदाता सत्यापन कार्यक्रम के तहत शत-प्रतिशत मतदाताओं का डिजीटल सत्यापन कराने हेतु व्यापक प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया।

उन्होंने कहा कि सत्यापित मतदाता को ही मतदाता माना जायेगा। उन्होंने सभी कार्यालयों के अधिकारियों, कर्मचारियो, उनके परिवार, मोहल्ले के लोगों का मतदाता सत्यापन हेतु जागरूक करने का निर्देश दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में बीएलओ को इस कार्य में लगाया जाये। मतदाता जागरूकता कार्यक्रम को एक नागरिक अभियान के रूप में संचालित किया जाये।

बैठक में कलेक्टर ने भू-अर्जन के प्रकरणों में मुआवजा वितरण का कार्य कैंप लगाकर युद्धस्तर पर करने का निर्देश दिया। उन्होंने राशनकार्डों में त्रुटि पर खाद्य विभाग के अधिकारी पर नाराजगी जताई और जिम्मेदार लोगों पर कार्यवाही के निर्देश दिये।

सभी गांवों में चिन्हित किया जाएगा चारागाह के लिये जमीन, मुनादी कराकर दी जाएगी जानकारी
बैठक में कलेक्टर ने जिले के सभी गौठानों के लिये नियुक्त नोडल अधिकारियों को निर्देशित किया कि गौठानों का प्रतिदिन निरीक्षण रिपोर्ट दिया जाये। गौठानों में साल भर के चारे के लिये पैरा कुट्टी का संग्रहण किया जायेगा। जिसके लिये संबंधित सीईओ और तहसीलदार को जिम्मेदारी दी गई।

कलेक्टर ने कहा कि किसानों द्वारा खेतों में पैरा जलाया जाता है। उस पर सख्ती से रोक लगाया जाये। किसानों से शपथ पत्र भरवाया जाये कि वे पैरा नहीं जलायेंगे। इसके लिये पटवारी, कृषि विस्तार अधिकारी को जिम्मेदारी दी जाये। जिन गांवों में गौठान नही है वहां भी चारागाह के लिये जमीन चिन्हांकित करें और इसके बारे में कोटवार के माध्यम से मुनादी कराकर गांव वालों को जानकारी भी दें।

गौठानों में दूसरे जगह से गाय लाकर छोड़ दिया जा रहा है। इस पर कड़ी निगरानी रखी जाये। गांवों में कांजी हाउस को सुचारू ढंग से संचालित किया जाये। गौठानों में महिला स्व-सहायता समूहों की गतिविधियां प्रारंभ करें। समूहों द्वारा गौठानों में वर्मी खाद बनाने, गोबर से कंडा, धूपबत्ती, दिया, गमला बनाने का कार्य किया जायेगा। जिससे उनको आय प्राप्त होगी।

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