Advertisement
कांग्रेसछत्तीसगढ़

रायगढ़: कांग्रेस को जिताऊ कंडिडेट की तलाश… सर्वे रिपोर्ट और पैनल में नाम अलग-अलग… निगम अध्यक्ष सलीम को मिल सकता है मौका… जानिए क्यों बन रही है ऐसी स्थिति…


रायगढ़। प्रदेश की कुछ विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के नाम तय करने को लेकर पेंच फंस गया है। दरअसल, इन सीटों पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से भेजे गए पैनल और पार्टी हाईकमान द्वारा कराए गए सर्वे की रिपोर्ट में जो नाम सामने आए हैं, वो अलग-अलग हैं। अलबत्ता, केंद्रीय चुनाव कमेटी भी तय नहीं कर पा रही है कि आखिर भरोसा किस पर करें। इन सीटों में रायगढ़ भी शामिल है, जहां से नगर निगम के सभापति सलीम नियारिया का नाम दावेदारों की सूची में स्वमेव शामिल हो गया है।

बताया जा रहा है कि हाईकमान द्वारा कराए गए सर्वे में अन्य दावेदारों से नियारिया की स्थिति काफी मजबूत है। यही वजह है कि रायगढ़ सीट का उम्मीदवार तय करने से पहले केंद्रीय चुनाव समिति फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। बता दें कि सभापति बनने के पहले सलीम ने जिस वार्ड से चुनाव लड़ा था, वहां सबसे ज्यादा वोटर अग्रवाल समाज के हैं। विधायक रोशन अग्रवाल का निवास भी इसी वार्ड में हैं। इसलिए नगर निगम चुनाव में विधायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई थी। अग्र बंधुओं के अधिक वोटर होने के कारण सलीम की राह आसान नहीं दिख रही थी, लेकिन धर्म की राजनीति के बजाय सर्वधर्म पर भरोसा रखने वाले सलीम ने विधायक अग्रवाल और बीजेपी के पार्षद प्रत्याशी अग्रवाल को भी हरा दिया। नगर निगम में सभापति भी चुन लिए गए। उस समय विधायक के गढ़ में कांग्रेस पार्षद की जीत के कई मायने निकाले गए थे। विधानसभा चुनाव लड़ने वाले दावेदारों के पैनल में अनिल अग्रवाल, डॉ. राजू भी शामिल हैं। अब पैनल में सलीम का भी शामिल होना बताया जा रहा है। दो दौर की चली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में रायगढ़ सीट के उम्मीदवार का नाम तय नहीं हो पाया है। कांग्रेस की राजनीति पर दिलचस्पी रखने वालों का कहना है कि अनिल अग्रवाल को टिकट मिलने से चाचा-भतीजा सामने होंगे। इससे कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है। यही वजह है कि केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में एक-एक बिंदु पर चर्चा की जा रही है। बहरहाल, सलीम ने तो रायगढ़ सीट से दावेदारी पेश नहीं की है, लेकिन सर्वे रिपोर्ट बताती है कि रायगढ़ विधानसभा के अधिकांश क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है और जनता भी उन्हें स्नेह करती है। 15 साल से राज्य की सत्ता से दूर कांग्रेस इस बार किसी तरह से सत्ता हासिल करना चाहती है। इसलिए जनता के स्नेह को वोट में तब्दील करने वाले उम्मीदवार की तलाश है।

ये है मजबूत पक्ष

सभापति सलीम का संगठन अध्यक्ष जयंत ठेठवार से बेहतर तालमेल है। वे 25 साल से हंडी चौक में दुर्गोत्सव का आयोजन कर राष्ट्रीय स्तर पर कौमी एकता की मिसाल पेश करते आ रहे हैं। अग्रवाल बाहुल्य वाले वार्ड से चुनाव जीतना उनकी स्वच्छ और सरल छवि को प्रदर्शित करता है।

error: Content is protected !!