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बिलासपुर: फिल कोल बेनिफिकेशन के मामले में नया खुलासा…कोलवाशरी को बचाने जल संसाधन विभाग के तत्कालीन ईई नायडू ने बदल दी नहर की दिशा…आगे और भी होंगे बड़े खुलासे

बिलासपुर। पैसे के दम पर अफसरों से क्या कुछ नहीं कराया जा सकता, इसका नमूना देखना है तो घुटकू स्थित कोलवाशरी प्लांट के बाजू से निकली नहर पर चले जाइए, जहां आपको दिखाई देगा कि जल संसाधन के अफसरों ने कोलवाशरी को बचाने के लिए नहर की दिशा किस तरह से बदल दी है। जबकि मुख्य नक्शे में यह नहर सीधी है।

अरपा-भैंसाझार परियोजना में की गई गड़बड़ियां परत-दर-परत उखड़ रही हैं। अरपा भैंसाझार परियोजना का प्रभार जिस अफसर मिला, उन्होंने दोनों हाथों से सिर्फ मलाई ही बटोरी। मुख्य नहर हो फिर एप्रोच नहर, सभी की दिशा बदल दी गई है। ताज़ाख़बर36गढ़.कॉम के पास उन नहरों के सारे दस्तावेज हैं, जिसकी दिशा बदली गई है। सबसे विवादित मामला मुख्य नहर से घुटकू वितरक नहर का है। उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार अरपा भैंसाझार परियोजना निर्माण अंतर्गत मुख्य नहर से घुटकू वितरक का एल सेक्शन और एलाइमेंट आरडी 0 से 15000 मीटर तक स्वीकृति दी गई थी। इसके लिए नजरी नक्शा भी बनाया गया था, जिसमें नहर सीधी है और नहर के लिए अधिग्रहित जमीन का खसरा नंबर भी दर्ज है। नक्शे में साफ दिखाई दे रहा है कि जिस जमीन पर फिल कोल बेनिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (कोलवाशरी) है, वहां से नहर निकल रही है। इसकी जानकारी होने पर कोलवाशरी प्रबंधन ने चाल चली और अफसरों को साधा। उस समय अरपा भैंसाझार परियोजना के प्रभारी ईई आरएस नायडू थे। प्रभारी ईई रहे नायडू ने 13 अगस्त 2018 को जल संसाधन मंडल बिलासपुर के अधीक्षण अभियंता को एक पत्र लिखा, जिसमें आरडी 9000 से 15000 मीटर तक नहर के लिए स्वीकृत एल सेक्शन ड्राइंग क्रमांक 162, 163, 164, 165/SE/W/22 (100) को निरस्त कर दूसरी जमीन से नहर निकालने की अनुशंसा की गई थी। इससे साफ हो गया कि प्रभारी ईई रहे नायडू कोलवाशरी को बचाने के लिए ही यह पत्र लिखा था।

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जल संसाधन मंडल के अधीक्षण अभियंता ने इस मामले में अपनी रोटी सेंकी और नहर की दिशा बदलने के कारण जानने के बजाय 13 सितंबर 2018 को प्रभारी ईई रहे नायडू को एक आदेश जारी किया, जिसमें घुटकू वितरक नहर के एल सेक्शन की पुनरीक्षित स्वीकृति दी गई है। आदेश में लिखा गया है कि अरपा भैंसाझार परियोजना निर्माण अंतर्गत मुख्य नहर से घुटकू वितरक का पूर्व में एल सेक्शन और एलाइमेंट आरडी 0 से 15000 मीटर तक स्वीकृति दी गई थी, जिसमें से आरडी 9000 से 15000 मीटर तक नहर के लिए स्वीकृत एल सेक्शन ड्राइंग क्रमांक 162, 163, 164, 165/SE/W/22 (100) की स्वीकृति को निरस्त करते हुए पुनरीक्षित स्वीकृति दी गई है। अधीक्षण अभियंता के आदेश के अनुसार नहर की दिशा भी बदल दी गई है। मौके पर जाने से पता चलता है कि कोलवाशरी के बाजू से नहर को यू टर्न में मोड़ा गया है। नहर को देखने से पता चलता है कि अफसरों ने यह काम बिना लेनदेन के तो किया नहीं होगा।

सिर्फ तीन दिन दफ्तर जाते हैं ईई, पर दिन तय नहीं

इस मामले में पक्ष जानने के लिए अरपा भैंसाझार परियोजना के ईई एके तिवारी से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन रिंग जाने के बाद भी उन्होंने मोबाइल कॉल रिसीव नहीं किया। कोटा आफिस में व्यक्तिगत रूप से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे वहां भी नहीं मिले। उनके मातहतों ने बताया कि वे हाईकोर्ट गए हैं। सप्ताह में तीन दिन ही दफ्तर आते हैं, लेकिन दिन भी तय नहीं है।

क्रमश: आदेश जारी होने के एक दिन बाद ही बदल गई नहर की दिशा… नहर की चलती रही खुदाई और रोड बनाने दे दिया कोलवाशरी प्रबंधन को जिम्मा… घुटकू स्टेशन तक बनानी थी सड़क, लेकिन सिर्फ कोलवाशरी तक बनाई… जल संसाधन के अफसरों ने बंद कर लीं आंखें… पढ़ते रहिए www.tazakhabar36garh.com

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