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बिलासपुर: बिल्डरों का दुस्साहस देखिए…जिस अरबों रुपए की जमीन पर तहसील न्यायालय ने दिया है स्टे… उस पर करा रहे निर्माण…थाने तक पहुंचा मामला…

बिलासपुर। शिब्या बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालकों को तहसील न्यायालय के आदेश की ही परवाह नहीं है, तभी तो जिस जमीन पर तहसीलदार ने स्टे दिया है, उस जमीन पर निर्माण किया जा रहा है। यह मामला सिविल लाइन थाने तक पहुंच गया है। प्रार्थी ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने की मांग की है।

बता दें कि उमाशंकर अग्रवाल व उनकी माता ने 1987 में बिलासपुर के मंगला पटवारी हल्का नंबर 21/35 के अंतर्गत तीन टुकड़ों में खसरा नंबर 1487/1, 1487/6 और 1487/9 रकबा क्रमश: 5-5 डिसमिल जमीन खरीदी थी। उमाशंकर अग्रवाल के नाम पर दो टुकड़े 5-5 डिसमिल यानी 10 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री हुई। उनकी मां के नाम पर 5 डिसमिल जमीन रजिस्ट्री हुई। 1998 में उमाशंकर ने इस जमीन का डायवर्सन कराने के लिए आवेदन किया। यहीं से रकबा बढ़ाने का खेल भी शुरू हुआ। राजस्व अधिकारियों से मिलीभगत कर उमाशंकर व उनकी मां ने तीनों टुकड़ों को 5-5 डिसमिल बताया और वर्गफीट में खेल करते हुए 35 बाई 70, 35 बाई 70 और 35 बाई 70 उल्लेख किया। उस समय बिलासपुर जिले में पदस्थ डायवर्सन अधिकारियों ने उमाशंकर का भरपूर साथ दिया और दस्तावेज की जांच किए बिना ही डायवर्सन कर दिया। इस तरह से प्रत्येक टुकड़े में 3-3 डिसमिल जमीन अधिक का डायवर्सन हो गया। इस बीच उनकी मां का निधन हो गया। अलबत्ता, उमाशंकर ने मां के नाम पर दर्ज 5 डिसमिल जमीन की फौती उठा ली। इस तरह से उमाशंकर के नाम पर 15 डिसमिल जमीन दर्ज हो गई। तब से 2017 तक उमाशंकर के नाम पर डायवर्टेड भूमि कुल 15 डिसमिल जमीन थी। उमाशंकर अग्रवाल ने 2017 में फिर एक खेल खेला। इस बार उसने 1998 में रची गई साजिश को अमलीजामा पहनाने तहसीलदार के कोर्ट में आवेदन किया। दस्तावेज के अनुसार उसने डायवर्सन के आधार पर भूमि का रकबा दुरुस्त करने तहसीलदार को आवेदन दिया। यानी कि 35 बाई 70, 35 बाई 70, 35 बाई 70 के हिसाब से राजस्व रिकार्ड दुरुस्त करने कागजात चलाया। तहसीलदार ने डायवर्सन को आधार बनाते हुए उसके रकबे में तीन-तीन डिसमिल जमीन और दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया। मंगला पटवारी ने तहसीलदार के आदेश का पालन करते हुए 15 डिसमिल जमीन को बढ़ाकर 24 डिसमिल उमाशंकर के नाम पर चढ़ा दिया। कुछ महीने पहले उमाशंकर ने यह जमीन शिब्या बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक राकेश शर्मा और सरिता शर्मा को बेच दी, जिस पर शिब्या बिल्डर्स ने कांपलेक्स का निर्माण शुरू कर दिया। इस मामले की शिकायत मुंगेली रोड मंगला निवासी मनींद्रर सिंह ने एसडीएम से की थी। लंबे समय तक कार्रवाई नहीं होने पर यह मामला मीडिया में उछला। इसके बाद एसडीएम के आदेश पर तहसीलदार तुलाराम भारद्वाज ने एक्शन लिया और 21 जनवरी को आदेश जारी करते हुए इस जमीन पर हो रहे निर्माण पर 28 जनवरी 2020 तक रोक लगाई थी। शिकायतकर्ता मनींदर सिंह के अनुसार 28 जनवरी को तहसील न्यायालय में मामले की सुनवाई हुई। इस दिन शिब्या बिल्डर्स की ओर से जवाब पेश किया गया, जिसे चुनौती देते हुए शिकायतकर्ता मनींदर सिंह की ओर से उनके वकील ने जवाब पेश किया। इसके बाद मामले में मार्च फिर अप्रैल में पेशी बढ़ा दी गई। मनींदर सिंह का कहना है कि इस विवादित जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण नहीं करने अब तक रोक लगी हुई है, लेकिन शिब्या बिल्डर्स अपने लठैतों के दम पर वहां निर्माण जारी रखा है। उन्होंने उन्हें निर्माण करने से मना किया तो वहां से उन्हें भगा दिया गया। मनींदर सिंह ने निर्माण कार्य पर रोक लगाने के लिए सिविल लाइन थाने में शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन पुलिस ने अब तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं की है।

एसडीएम ने कहा- तहसीलदार से बात कीजिए

शिकायतकर्ता मनींदर सिंह के अनुसार उन्होंने इस मामले की शिकायत बिलासपुर एसडीएम से की थी। इसलिए निर्माण रुकवाने के लिए उन्होंने एसडीएम से बात की। जवाब मिला, तहसीलदार भारद्वाज से बात कीजिए, वही मामला देख रहे हैं।

मौके से पटवारी को भगाया

मनींदर सिंह का आरोप है कि जब उनकी शिकायत पर मंगला पटवारी निर्माण रुकवाने के लिए मौके पर गए तो उन्हें भी वहां से भगा दिया गया। मंगला पटवारी ने तहसीलदार से बात की तो उन्होंने उन्हें बताया कि वहां पर निर्माण करने पर अब भी रोक लगी हुई है।

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