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कांग्रेस

कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने को लेकर बड़ा खुलासा, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बताई असली वजह…

कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को चिठ्ठी लिखने वाले 23 नेताओं के पर कतरने का अभियान जोर पकड़ने लगा है। यद्यपि सोनिया ने व्यक्तिगत रूप से इन नेताओं को फ़ोन कर अपने मन में कोई वैर-भाव न होने का सन्देश दिया है, किन्तु राहुल गाँधी ने जिस आक्रामकता के साथ उनपर भाजपा से मिले होने का आरोप लगाया और बाद में इसका कोई खंडन भी नहीं किया, इससे कांग्रेस के भीतर अब इन्हें गाँधी परिवार का विरोधी घोषित करने की प्रतियोगिता चल पड़ी है।

इन नेताओं के लिए ‘इनको और न उनको ठौर’ वाली स्थिति निर्मित हो गई है। गुलाम नबी आजाद को अल्पसंख्यक होने के कारण राज्यसभा में पद से वंचित नहीं किया जाएगा किन्तु कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी और शशि थरूर को पार्टी ने लोकसभा एवं राज्यसभा में नवगठित कमेटियों में कोई स्थान नहीं दिया। पार्टी के भीतर अबतक ये लोग गाँधी परिवार के प्रति निष्ठावान होने के कारण महत्वपूर्ण माने जाते थे किन्तु अब इनपर निष्ठा परिवर्तन का आरोप लगने के कारण इन्हें धीरे-धीरे किनारे लगा दिया जाएगा।

इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री, लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में  उस पत्र के बारे में बात की, जिसने कांग्रेस के भीतर और पार्टी के भविष्य के कार्य के दौरान लहर पैदा कर दी थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने उस पत्र पर हस्ताक्षर क्यों किए थे।

मनीष तिवारी ने कहा, कांग्रेस आज गहन चुनावी, वैचारिक और संगठनात्मक चुनौतियों का सामना कर रही है। चुनौती 2014 और 2019 के चुनावों में हमारी लगातार दो हार और देश भर में हमारे कम हो रहे पदचिह्न से रेखांकित है। एक समग्र चुनावी कायाकल्प 2024 में कांग्रेस के लिए एक शानदार रास्ते पर होना महत्वपूर्ण है। वर्तमान में हम उस राह पर नहीं हैं। कुछ दिनों पहले कांग्रेस से असंतुष्ट नेताओं ने हाईकमान को चिट्ठी लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की थी और पार्टी को बेहतर करने करने के लिए कई सुझाव भी दिए थे।

हालांकि गांधी परिवार पर विश्वास खो देने के बारे में तिवारी कहते हैं कि ऐसा नहीं है गांधी परिवार से उनका भरोसा अभी खोया नहीं है।उन्होंने कहा, “मैं सोनिया गांधी का उतना सम्मान करता हूं जितना अपनी दिवंगत मां का। उन्होंने हमें 19 सालों तक गरिमा, संवेदनशीलता और समभाव के साथ हमारा नेतृत्व किया और दो संप्रग सरकारों को बनाने और दिशा देने के लिए वही जिम्मेदार थी। अगर हम उनके प्रति विश्वास खो चुके हैं तो क्या आपको लगता है कि हमने सामूहिक रूप से उन्हें चिट्ठी लिखी होगी। मैं पिछले 21 सालों में मुझे दिए गए सभी अवसरों के लिए श्रीमती गांधी का बहुत आभारी हूं।”

तिवारी ने साथ ही कहा, “हम आंतरिक रूप से लगातार अपनी बात रखते रहेंगे पार्टी को यह पहचानना होगा कि हर बार जब किसी मुद्दे को झंडी दी जाती है तो वह असहमति नहीं होती, बातचीत की स्थिति बहुत कम होती है। यदि आप बहस और चर्चा नहीं करने जा रहे हैं, तो आप विभिन्न मुद्दों पर पार्टी की स्थिति को कैसे परिष्कृत करेंगे? हम जल्द ही संसद सत्र शुरू करने वाले हैं। भारतीय क्षेत्र में चीन का कब्जा है। सरकार वास्तव में बंट गई है। हालाँकि, चीनियों ने भाजपा के क्षेत्र को नहीं पकड़ा है, उन्होंने भारतीय क्षेत्र को हड़प लिया है। क्या हम सभी भारतीय पहले नहीं हैं? क्या हमें अपने सशस्त्र बलों को यह संदेश नहीं देना चाहिए कि राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में राष्ट्र उनके साथ है?”

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