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एआईसीसी अधिवेशन के जरिए अध्यक्ष के तौर पर वापसी करेंगे राहुल गांधी, CWC ने अन्य नेता के विकल्प को किया खारिज…

सीडब्ल्यूसी के मुताबिक, "सरकार की विफलता और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ सबसे ताकतवर आवाज सोनिया गांधी और राहुल गांधी की है...

यह बात अब लगभग तय है कि वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी पार्टी के अगले अध्यक्ष होंगे। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के अधिवेशन में उनके नाम पर मुहर लग जाएगी। इस बीच, पार्टी संगठन में उनकी नई टीम भी तैयार हो जाएगी। ताकि, अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालने के बाद वह अपने मुताबिक निर्णय कर सके।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे असंतुष्ट नेताओं के पत्र को लेकर हुई पार्टी कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में लगभग हर सदस्य ने राहुल गांधी से अध्यक्ष बनने का आग्रह किया है। सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से जो बयान जारी किया है, उसमें भी सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी के नेतृत्व की तारीफ की गई है।

सीडब्ल्यूसी के मुताबिक, “सरकार की विफलता और विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ सबसे ताकतवर आवाज सोनिया गांधी और राहुल गांधी की है। राहुल गांधी ने भाजपा सरकार के खिलाफ जनता की लड़ाई का दृढ़ता से नेतृत्व किया है।” बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक बार फिर दोहराया कि सभी कांग्रेसजनों की इच्छा है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालें।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, राहुल गांधी कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष चुने जा सकते हैं। इसके लिए पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव की प्रक्रिया को भी अपना सकती है। हालांकि, यह तय है कि सभी प्रदेश कांग्रेस कमेटियां सर्वसम्मति से राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित करेंगी।

कोरोना काल में कांग्रेस अधिवेशन होने तक पार्टी अध्यक्ष के तौर सोनिया गांधी संगठन में जरुरी बदलावों को अंजाम दे सकती हैं। पार्टी के एक नेता ने कहा कि संगठन में राहुल गांधी की पसंद के नेताओं को जगह मिल सकती है। सीडब्ल्यूसी ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर सोनिया गांधी को अधिकृत कर दिया है। सीडब्ल्यूसी में गांधी परिवार से इतर अध्यक्ष बनाने पर कई सदस्यों ने अपनी बात रखी। इन सदस्यों ने किसी अन्य नेता के विकल्प को खारिज करते हुए कहा कि कोई और व्यक्ति पार्टी को नहीं संभाल सकता है।

राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पार्टी में दो माह से अधिक पूरी तरह शून्य था, पर उस वक्त भी पार्टी कोई और नाम नहीं तय पाई थी, बाद में सोनिया गांधी को यह जिम्मेदारी संभालनी पड़ी थी।

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