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सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस शरद अरविंद बोबडे होंगे देश के अगले 47वां चीफ जस्टिस, 18 नवंबर को लेंगे शपथ, जानें उनके बारे में सब कुछ…

न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे को मंगलवार को देश का 47वां प्रमुख न्यायाधीश नियुक्त किया गया। वह 18 नवंबर को प्रमुख न्यायाधीश पद की शपथ ग्रहण करेंगे। कानून मंत्रालय ने मंगलवार को न्यायमूर्ति बोबडे की देश के नए प्रमुख न्यायाधीश पद पर नियुक्ति संबंधी अधिसूचना जारी की। न्यायमूर्ति बोबडे करीब 17 महीने प्रमुख न्यायाधीश रहेंगे। इससे पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने देश के नए प्रमुख न्यायाधीश पद पर न्यायमूर्ति बोबडे की नियुक्ति के पत्र पर हस्ताक्षर किए। न्यायमूर्ति बोबडे की नियुक्ति प्रमुख न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई के स्थान पर की गई है जो 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

न्यायमूर्ति बोबडे 23 अप्रैल, 2021 तक देश के प्रमुख न्यायाधीश रहेंगे। जस्टिस बोब्डे ने आधार प्रकरण सहित अनेक महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है। वह राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि विवाद की सुनवाई करने वाली संविधान पीठ के भी सदस्य हैं जिसका फैसला 15 नवंबर तक आने की उम्मीद है।

प्रमुख न्यायाधीश रंजन गोगोई ने स्थापित परपंरा के अनुरूप पिछले सप्ताह ही अपने उत्तराधिकारी के रूप में शीर्ष अदालत के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति बोबडे की नियुक्ति की सिफारिश की थी। न्यायमूर्ति बोबडे ने 1978 में महाराष्ट्र बार काउन्सिल में पंजीकरण कराने के बाद बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ में वकालत शुरू की। उन्हें 1998 में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत किया गया। न्यायमूर्ति बोबडे की 29 मार्च 2000 को बंबई उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश पद पर नियुक्ति हुई। वह 16 अक्टूबर , 2012 को मप्र उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने और 12 अप्रैल 2013 को पदोन्नति देकर उन्हें उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनाया गया।

जीनव परिचय: आधार से लेकर अयोध्या मामले की सुनवाई में शामिल रहे

-जस्टिस एसए बोबडे उच्चतम न्यायालय में कई अहम मामलों की सुनवाई करने वाली पीठ का हिस्सा रहे हैं। इनमें आधार की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली याचिका से लेकर अयोध्या का रामजन्मभूमि विवाद तक शामिल है।

निजी जीवन

-24 अप्रैल 1956 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ न्यायमूर्ति शरद अरविंद बोबडे का जन्म

-उनके पिता अरविंद बोबडे 1980 से 1985 तक महाराष्ट्र के एडवोकेट जनरल पद पर रहे

शिक्षा-दीक्षा

-सेंट फ्रांसिस डिसेल्स कॉलेज से बीए के बाद नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री ली

पेशेवर जीवन

-1978 में महाराष्ट्र बार काउंसिल से जुड़े, बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच में वकालत शुरू की

-1998 में वरिष्ठ वकील का दर्जा मिला, 2000 में बॉम्बे उच्च न्यायालय में एडिशनल जज बनाए गए

-अक्तूबर 2012 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए, 2013 में उच्चतम न्यायालय में जज बने

अहम फैसले

-न्यायमूर्ति बोबडे मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली उस पांच सदस्यीय संविधान पीठ का हिस्सा हैं, जो अयोध्या के रामजन्मभूमि विवाद की सुनवाई कर रही

-आधार की अनिवार्यता खत्म करने वाली उस बेंच में शामिल, जिसने कहा कि आधार न होने के कारण किसी व्यक्ति को मूलभूत सुविधाओं, सब्सिडी से वंचित नहीं रखा जा सकता

-नवंबर 2016 में उच्चतम न्यायालय की जिस पीठ ने तीन बच्चों की याचिका पर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर रोक लगाने का फैसला दिया था, उसमें भी शामिल थे बोबडे

-मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले की इनहाउस जांच उन्हीं की अध्यक्षता में गठित समिति ने की, 26 हफ्ते के भ्रूण के जीवित बचने की संभावना के आधार पर एक महिला की गर्भपात की अनुमति मांगने वाली याचिका खारिज की।

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