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स्वास्थ्य

तकनीक का कमाल: कोरोना वायरस को जलाकर खाक करने वाला मास्क आ गया, खासियत जान तुरंत खरीदना चाहेंगे…

जरा सोचिए, आपके हाथ कोई ऐसा मास्क लग जाए, जो सार्स-कोव-2 वायरस यानी कोरोना वायरस से बचाव के बजाय उसके खात्मे में सक्षम हो तो जिंदगी कितनी आसान बन जाएगी। सुनने में यह बात भले ही किसी विज्ञान-फंतासी फिल्म के दृश्य सरीखी लगे, पर मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने इसे हकीकत में तब्दील कर दिखाया है। उन्होंने तांबे की जाली से लैस एक ऐसा मास्क बनाया है, जो नाक-मुंह से निकलने वाली पानी की सूक्ष्म बूंदों (एयरोसोल) में मौजूद कोरोना वायरस के अंश को जलाकर खाक कर देगा।

दरअसल, बैटरी से संचालित इस मास्क की जाली 194 डिग्री फारनहाइट (करीब 90 डिग्री सेल्सियस) पर तपती रहती है, जो वायरस के खात्मे के लिए उपयुक्त है। निर्माताओं ने इसे ऊष्मारोधी ‘नियोप्रीन’ से तैयार विशेष फैब्रिक में कैद किया है, ताकि धारक की त्वचा न जले। मास्क से जुड़ा शोधपत्र ‘बायोरेक्सिव रिपोजिटरी जर्नल’ के हालिया अंक में प्रकाशित किया गया है।

धोने-सुखाने का झंझट नहीं

शोध दल से जुड़े सैमुअल फॉशर के मुताबिक तांबे की परत वाला मास्क संक्रमणरोधी गुणों से लैस होगा। इस्तेमाल के बाद इसे फेंकने, धोने या धूप में सुखाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एमआईटी ने बड़े पैमाने पर प्रोटोटाइप बनाना शुरू कर दिया है, ताकि इसकी उपयोगिता आंकना मुमकिन हो।

पर कीमत एन-95 से ज्यादा

फॉशर ने बताया कि तांबे की तपती परत वाला मास्क कपड़े के मास्क, सर्जिकल मास्क और एन-95 रेस्पिरेटर से ज्यादा महंगा होगा। हालांकि, संक्रमण के लिहाज से अधिक संवेदनशील जगहों, मसलन अस्पताल या सार्वजनिक परिवहन में इसका इस्तेमाल बचाव की गारंटी साबित होगा।

ऐसे होगा सार्स-कोव-2 का खात्मा

निर्माताओं ने बताया कि मौजूदा समय में उपलब्ध ज्यादातर मास्क वायरस को उनके आकार के हिसाब से या फिर इलेक्ट्रिक चार्ज की मदद से छानने का काम करते हैं। हालांकि, एमआईटी का मास्क वायरस का रास्ता रोकने के बजाय उसे तांबे की तपती जाली से गुजरने देता है, जो उसकी मारक क्षमता के लिए जिम्मेदार स्पाइक प्रोटीन को निष्क्रिय कर देती है।

संक्रमित बूंदें जाली में फंसेंगी

तांबे वाले मास्क को ज्यादा असरदार बनाने के लिए निर्माताओं ने उसे ‘रिवर्स फ्लो रिएक्टर’ में तब्दील कर दिया। यानी सांस लेने और छोड़ने के दौरान हवा मास्क में लगी जाली से कई बार गुजरेगी। इससे संक्रमित बूंदों के जाली के वार से बच निकलने की आशंका न के बराबर हो जाएगी। एमआईटी ने मास्क के व्यावसायिक उत्पादन के लिए पेटेंट दाखिल किया है।

जानें और कैसे-कैसे हैं मास्क

1.‘सी-मास्क’ आठ भाषाओं के अनुवाद में सक्षम
मास्क पहनने पर अक्सर आवाज धीमी होने की शिकायत सामने आती है। कई बार सामने वाला हमारी बात भी नहीं समझ पाता। ऐसे में एक जापानी कंपनी ने ‘सी-मास्क’ नाम का ऐसा मास्क पेश किया है, जो स्पीकर की मदद से यूजर की आवाज को कई गुना बढ़ा देगा।

आठ भाषाओं के अनुवाद में सक्षम

निर्माता ‘डोनट रोबोटिक्स’ के मुताबिक ‘सी-मास्क’ एक खास स्मार्टफोन ऐप के जरिये यूजर की ओर से बोले जाने वाले शब्दों को ‘टेक्स्ट मैसेज’ में भी तब्दील करने में सक्षम है। ऐप की मदद से यह संबंधित संदेश का आठ भाषाओं में अनुवाद करने की भी क्षमता रखता है। इनमें अंग्रेजी, चीनी, स्पेनी, फ्रांसीसी, कोरियाई, थाई, वियतनामी और इंडोनेशियाई भाषा शामिल हैं। इस मास्क की कीमत 37 डॉलर (लगभग 2775 रुपये) रखी गई है।

ऑफिस का काम बनेगा आसान

‘डोनट रोबोटिक्स’ के निदेशक ताइसुके ओनो की मानें तो यूजर ‘सी-मास्क’ में लगे माइक्रोफोन का इस्तेमाल बिजनेस मीटिंग की रिकॉर्डिंग के लिए कर सकेंगे। यह रिकॉर्डिंग खुद बखुद फोन में सेव होती चली जाएगी, ताकि बाद में इस्तेमाल करना संभव हो। ‘सी-मास्क’ जापान में कई वर्षों से रिसेप्शनिस्ट के तौर पर इस्तेमाल किए जा रहे उस रोबोट से प्रेरित है, जो सामने वाले की ओर से पूछे जाने वाले सवालों का जवाब देने में सक्षम है।

2.खाना खाने के लिए मास्क उतारने की जरूरत नहीं
इजरायली वैज्ञानिकों ने रिमोट से संचालित एक ऐसा मास्क बनाया है, जिसका मुंह एक बटन दबाने से खुलता और बंद होता है। इससे युजर को खाना खाते समय मास्क उतारने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

3.स्पीकर और ब्लूटूथ से लैस बायोपीपीई
बायोपीपीई में लगे स्पीकर धारक की आवाज को तेज और स्पष्ट बनाते हैं। वहीं, ब्लूटूथ इसे स्मार्टफोन से जोड़कर कॉल करने, गाने या पॉडकास्ट सुनने और एलेक्सा का इस्तेमाल करने की सुविधा प्रदान करता है।

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