22 वर्षों में भी नहीं बदले हालात, भारत की 65 फीसदी शहरी आबादी प्राइवेट अस्पतालों पर निर्भर… उपचार कराने वालों से पूछे गए कुछ सवाल…
करीब दो दशकों के बाद भी चिकित्सा सेवाओं पर निर्भरता के मामले में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। निजी अस्पतालों पर निर्भरता बनी हुई है...
करीब दो दशकों के बाद भी चिकित्सा सेवाओं पर निर्भरता के मामले में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है। निजी अस्पतालों पर निर्भरता बनी हुई है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी चिकित्सा सेवाओं पर लेकिन शहरी क्षेत्रों में निजी चिकित्सा सेवाओं पर निर्भरता बढ़ी है। 65 फीसदी शहरी आबादी निजी अस्पतालों पर निर्भर है।
हाल में जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 54 फीसदी ग्रामीण लोग उपचार के लिए निजी अस्पतालों में भर्ती हुए जबकि 46 फीसदी सरकारी अस्पतालों में भर्ती हुए। इस रिपोर्ट में जुलाई 2017-जून 2018 तक के आंकड़े शामिल किए गए हैं। जुलाई 1995-जून 1996 के दौरान किए गए एनएएसओ सर्वेक्षण के अनुसार 56 फीसदी लोगों ने निजी अस्पतालों में और 44 फीसदी ने सरकारी अस्पतालों में इलाज कराया। इस प्रकार करीब 22 सालों के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी चिकित्सा सेवाओं के दायरे में महज दो फीसदी का इजाफा हुआ है।
शहरों में निजी चिकित्सा सेवाओं पर निर्भरता बढ़ी
रिपोर्ट में शहरी क्षेत्र के भी आंकड़े दिए गए हैं। 65 फीसदी शहरी आबादी निजी अस्पतालों में इलाज कराया जबकि 35 फीसदी ने सरकारी अस्पतालों में उपचार कराया। यह आज की स्थिति है। 22 साल पहले के ही एनएसएसओ के आंकड़ों पर नजर डालें तो 57 फीसदी शहरी आबादी निजी अस्पतालों में तथा 43 फीसदी सरकारी अस्पतालों में इलाज कराती थी। संकेत साफ है कि शहरी क्षेत्रों में जिस प्रकार से आबादी में इजाफा हुआ है, उस हिसाब से चिकित्सा सुविधाएं नहीं बढ़ी हैं। इसलिए शहरों में निजी चिकित्सा सेवाओं पर निर्भरता और भी बढ़ गई है।
उपचार कराने वालों से पूछे गए सवाल
सर्वेक्षण के उपरोक्त आंकड़े एक साल के दौरान अस्पताल में भर्ती होकर उपचार कराने वालों पर आधारित हैं। इसी सर्वेक्षण में 15 दिनों के आंकड़े भी एकत्र किए गए। इसमें सवाल यह पूछा जाता है कि आपने 15 दिनों के दौरान कहां उपचार कराया। इसके आंकड़े भी निजी चिकित्सा सेवाओं के वर्चस्व को दिखाते हैं। इसमें 32.4 फीसदी ग्रामीण एवं 26.2 फीसदी शहरी लोगों ने कहा कि उन्होंने सरकारी अस्पताल में इलाज कराया। 20.8 ग्रामीण एवं 27.3 फीसदी शहरी लोगों ने कहा कि वे निजी अस्पताल गए।
इसी प्रकार 41.4 फीसदी ग्रामीणों तथा 44.3 फीसदी शहरी लोगों ने निजी क्लिनिकों में इलाज कराया। इसी अवधि में चार फीसदी ग्रामीण और एक फीसदी शहरी आबादी ने अनौपचारिक स्वास्थ्य प्रदात्ताओं से इलाज प्राप्त किया। गांवों में 0.9 तथा शहरों में 1.3 फीसदी लोग धर्माथ चिकित्सालयों में भी इलाज के लिए गए। इस प्रकार 62.2 फीसदी ग्रामीण तथा 71.6 शहरी लोग उपचार के लिए निजी क्षेत्र पर निर्भर रहे। इस श्रेणी में सभी छोटे-बड़े उपचार, ओपीडी आदि शामिल होते हैं।