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अदभुत रिटायरमेंटः हेलीकॉप्टर पर सवार होकर घर पहुंचा स्कूल का चपरासी, हजारों मेहमानों को कराया भोज…

अपने सपने को सच करने अगर कोई सच्चे मन से ठान ले तो कौन कहता है सपने सच नहीं होते, अगर किसी काम के लिए आप पूरे समर्पण के साथ मेहनत करते हैं तो आपके सपने जरूर पूरे होंगे और इसका ताजा उदाहरण हैं कूदे राम। वह फरीदाबाद के नीमका के एक सरकारी स्कूल से इसी मंगलवार (30 जुलाई) को रिटायर हुए हैं। रिटायरमेंट के बाद जब वह स्कूल से मात्र तीन किलोमीटर दूर अपने घर सदपुरा गांव हेलीकॉप्टर से पहुंचे तो उनके आसपास के लोग तो हैरान हुए ही, कूदे राम का भी 40 साल पुराना सपना साकार हो गया। कूदे राम हेलीकॉप्टर में बैठने का सपना पिछले 40 सालों से देख रहे थे और इसके बारे में उन्होंने अपने परिवार को भी बताया था। लेकिन उन्हें किसी ने तब तक गंभीरता से नहीं लिया जब तक कि 19 मार्च को उन्होंने अपने छोटे भाई और गांव के सरपंच से अपने रिटायरमेंट को यादगार बनाने की बात नहीं की थी।

अपने सपने के बारे में बताते हुए कूदे राम कहते हैं कि मैं बहुत कम पढ़ा-लिखा हूं और जिंदगी में बहुत कुछ नहीं कर सका लेकिन मैं अपने क्षेत्र में इतिहास रचना चाहता था। इसलिए कई सालों से योजना बनाने के बाद मैंने तय किया कि मैं अपने रिटायरमेंट को यादगार बनाऊंगा और लोग मेरा नाम हमेशा याद रखेंगे।

यही वजह है कि चपरासी के रूप में अपने काम के आखिरी दिन कूदे राम साइकिल से स्कूल पहुंचे लेकिन हेलीकॉप्टर से घर लौटे। कूदे राम का कहना है, “मैं अपने परिवार से अक्सर कहता था कि मैंने सपने में हेलीकॉप्टर देखा है, वह मेरा मजाक उड़ाते थे। यहां तक कि मेरे बचपन के दोस्त भी मेरा मजाक उड़ाते थे और कहते थे कि तुम्हारा सपना बहुत अजीब है और इस जन्म में तो पूरा नहीं हो सकता। एक बार इस बारे में मैंने एक ज्योतिष से पूछा था तो उसने कहा कि यह अपने उद्देश्य को पूरा करने की निशानी है और मेरे सपने सच होंगे।”

मंगलवार दोपहर को जब राम हेलीकॉप्टर में घुसे तो उन्होंने पूरे हेलीकॉप्टर को बहुत अचरज से देखा और फिर कॉकपिट की तरफ देखा जहां एक महिला पायलट बैठी थी और उसने कूदे राम के गांव के ऊपर हेलीकॉप्टर उड़ाया। इस उड़ान में कूदे राम की पत्नी, तीन बेटियों में से एक और उसके बच्चे साथ थे। यह उड़ान 15 मिनट की थी। कूदे राम का कहना है कि पहले उन्होंने एक चार्टर प्लेन करने का मन बनाया था लेकिन उनके परिवार ने मना कर दिया।

कूदे राम ने बताया कि लंबी विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया कि प्लेन के लिए रन-वे भी बनाना पड़ेगा जिससे बहुत खर्च होगा इसलिए हेलीकॉप्टर ही लिया जाए। एक बार जब सब तय हो गया तो कूदे राम एक खत लेकर डिप्टी कमिश्नर के दफ्तर पहुंचे। राम ने बताया कि यह खत जब पहली बार किसी भी अधिकारी ने देखा तो वह हंसा कि कुछ देर की जॉय राइड के लिए इतने पैसे क्यों खर्च करने? तब राम ने उन्हें बताया कि यह पैसे की बात नहीं है बल्कि उसके 40 साल पुराने सपने की बात है।
कूदे राम ने बताया कि मेरे लिए दूसरों को समझाना मुश्किल था कि मैंने इस लम्हे का पूरे जीवनभर इंतजार किया है। जब उन्होंने अधिकारियों से पूछा कि क्या उसकी इच्छा गलत या अनैतिक तो उन्होंने कहा कि नहीं। लेकिन उनकी चिंता ये थी कि मेरी इच्छा बहुत अलग थी और इसमें बहुत पैसे खर्च हो रहे थे।

मेरे रिटायरमेंट वाले दिन मेरे परिवार के 40 लोगों ने करीब 2.30 घंटे तक गांव के चक्कर लगाए। परिवार ने अपने 7000 रिश्तेदारों को दोपहर के भोजन पर बुलाया था। कूदे राम ने लंच पर 3.5 लाख रुपये खर्च किए तो 3.25 लाख रुपये हेलिकॉप्टर के किराए पर खर्च किए। कूदे राम की पत्नी राममती देवी ने कहा कि इतने सालों तक वह अपने पति के साथ फोटो खींचे जाने का इंतजार करती रहीं, लेकिन उनके पति इतने शर्मीले हैं कि वह परिवार के सामने उनसे बात करने से भी कतराते थे। मैंने उन्हें इस सपने के लिए एक-एक पाई जोड़ते देखा है। वह अपनी सेविंग करते थे।

उनकी बेटी आशा रानी कहती हैं कि उन्हें नहीं लगा था कि उनके पिता इस तरह हेलीकॉप्टर पर पैसे बर्बाद करेंगे लेकिन बाद में सबने उनका समर्थन किया क्योंकि वह अपने इरादे पर अड़े थे।

राम के छोटे भाई शिव कुमार कहते हैं कि इन सबकी इजाजत लेने में हमें चार साल लग गए। मेरे भाई ने अपने ऊपर कभी एक रुपया नहीं खर्च किया और बहुत मेहनत की है। उन्होंने कभी कोई नशा नहीं किया और अपने वार्षिक ट्रेवल के लिए पैसे जोड़े। वह गजब के जुनूनी हैं। कूदे राम अब अपने गांव के साथ ही आसपास के गांव में सेलेब्रिटी बन चुके हैं।

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