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बिलासपुर: नगर निगम टेंडर घोटाले में नया खुलासा… आरोपी ठेकेदार जितेंद्र कुमार का दावा- ओरिजनल दस्तावेज ही पेश किए गए थे… यानी कि जिसकी वैधता तिथि हो गई थी खत्म… अब सवाल यह कि अफसरों ने फिर क्यों दे दिया टेंडर… जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट…

बिलासपुर। नगर निगम के जोन क्रमांक 4 (अब 6) में हुए टेंडर घोटाले में एक नया खुलासा हुआ है। जिस पर फर्जी दस्तावेज के सहारे दो कामों का टेंडर हथियाने का आरोप लगा है, उनका दावा है कि उन्होंने कोई कूटरचित दस्तावेज पेश नहीं किया था। टेंडर में उन्होंने 4 अक्टूबर 2014 के ई-पंजीयन की कापी पेश की थी। अगर उनके दावे पर भरोसा करें तो सवाल यह उठता है कि जिस ई-पंजीयन की वैधता तिथि खत्म हो गई थी, उसे नजरअंदाज कर निगम अफसरों ने स्वीकार कैसे कर लिया और टेंडर उन्हें क्यों दे दिया गया। इससे निगम अफसरों और ठेकेदार के बीच लेनदेन की बू आ रही है। बता दें कि ई-पंजीयन पांच साल के लिए वैध रहता है। यानी कि 4 अक्टूबर 2014 को कराए गए ई-पंजीयन की वैधता तिथि 3 अक्टूबर 2019 तक थी, जबकि टेंडर 15 अक्टूबर को खोला गया है।

वार्ड क्रमांक 42 स्थित सामुदायिक भवन की रिपेयरिंग व पेंटिंग और वार्ड क्रमांक 43 स्थित सामुदायिक भवन सीनियर क्लब की रिपेयरिंग पेंटिंग का ठेका ठेकेदार जितेंद्र कुमार ठाकुर को मिला हुआ है। जितेंद्र कुमार पर फर्जी दस्तावेज के सहारे टेंडर हथियाने का आरोप लगाते हुए ठेकेदार अनिल मजुमदार ने आयुक्त प्रभाकर पांडेय से शिकायत की है। उन्होंने अपने आवेदन में ठेकेदार जितेंद्र कुमार द्वारा पेश फर्जी दस्तावेत की कापी भी संलग्न किया है।

ठेकेदार जितेंद्र कुमार ने रखा ये तर्क

खबर प्रकाशित होने के बाद ठेका पाने वाले ठेकेदार जितेंद्र कुमार अपना पक्ष रखने के लिए बीते 22 अक्टूबर को www.tazakhabar36garh.com के दफ्तर पहुंचे थे। उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि ई-पंजीयन रिनीवल करने के लिए उन्होंने एक माह पहले ही आवेदन दे दिया था। 3 अक्टूबर 2019 को उनके मोबाइल पर मैसेज आया कि उनका आवेदन स्वीकार कर लिया गया है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मोबाइल में मैसेज आते ही वह टेंडर में शामिल होने के लिए पात्र हो गया था।

जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

हमने ई-पंजीयन के रिनीवल के बारे में एक्सपर्ट से बातचीत की तो पता चला कि किसी भी ई-पंजीयन का रिनीवल कराने के लिए स्थानीय पीडब्ल्यूडी दफ्तर के सब डिवीजन आफिस में आवेदन देना होता है। वहां रसीद कटती है, जो एक तरह की पावती होती है। सब डिवीजन कार्यालय से आवेदन पीडब्ल्यूडी के ईएनसी के पास जैसे ही पहुंचता है तो वहां से संबंधित मोबाइल पर एक मैसेज आता है, जो यह प्रूफ करता है कि उनका आवेदन संबंधित कार्यालय तक पहुंच गया है, न कि ई-पंजीयन का रिनीवल हो गया है। एक्सपर्ट की राय से तो यह साबित हो रहा है कि ठेकेदार ने खुद को पाक-साफ बताने के लिए मीडिया को गुमराह करने की कोशिश की है।

तीन चरणों में खुलता है टेंडर

पहला चरण:- किसी भी निर्माण कार्य का टेंडर तीन लिफाफे में जमा होता है, जिसे अ, ब और स नाम दिया जाता है। तय तिथि को सभी के सामने पहला लिफाफा अ खोता जाता है, जो अमानत राशि से संबंधित होता है। इसमें पास होने वाले ठेकेदार दूसरे चरण का लिफाफा खुलवाने के लिए पात्र हो जाता है।

दूसरा चरण:- इस चरण में लिफाफा ब को खोला जाता है। इसमें संबंधित ठेकेदार द्वारा टेंडर पाने के लिए पेश किए गए सारे दस्तावेज रहते हैं, जिसे बारीकी से जांच करने की जिम्मेदारी टेंडर खुलवाने वाले अफसर की होती है। इसमें सबसे मुख्य दस्तावेज ई-पंजीयन होता है, जिसे www.pwd.cg.nic.in में लॉगिंग कर तारीख का मिलान किया जाता है और देखा जाता है कि ई-पंजीयन की वैधता तिथि तो समाप्त नहीं हो गई है। इस चरण को पार करने वाले ठेकेदार अंतिम चरण के लिए क्वालीफाई हो जाते हैं।

अंतिम चरण:- इस चरण में लिफाफा स खोला जाता है, जिसमें संबंधित निर्माण कार्य की दर होती है। इस चरण में तय हो जाता है कि टेंडर किसे मिलना है। दरअसल, सबसे कम दर भरने वाले ठेकेदार को यह टेंडर दे दिया जाता है।

… तो दूसरे चरण में बाहर हो गया था ठेकेदार जितेंद्र कुमार

ठेकेदार जितेंद्र कुमार के दावे और टेंडर खुलने की प्रक्रिया पर गौर करें तो यह साफ हो जाता है कि दूसरे चरण में ही ठेकेदार जितेंद्र कुमार टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गया था, क्योंकि उनका दावा है कि उन्होंने 4 अक्टूबर 2014 को हुए ई-पंजीयन की कापी संलग्न की थी। अब सवाल यह उठता है कि आखिर निगम अफसर ने उसे पात्र क्यों घोषित कर दिया।

जानिए क्या है पूरा मामला

नगर निगम प्रशासन ने जोन क्रमांक 4 (अब 6) में 18 निर्माण कार्य के लिए 19 सितंबर 2019 को एक टेंडर निकाला। 14 अक्टूबर टेंडर भने की अंतिम तिथि थी। टेंडर में वार्ड क्रमांक 42 स्थित सामुदायिक भवन की रिपेयरिंग और पेंटिंग की प्राक्कलन राशि 4 लाख रुपए और वार्ड क्रमांक 43 स्थित सामुदायिक भवन सीनियर क्लब की रिपेयरिंग पेंटिंग की प्राक्कलन राशि 4 लाख रुपए थी। दोनों कार्यों के लिए ठेकेदार जितेंद्र कुमार ठाकुर, मयंक गुप्ता और अनिल मजुमदार ने टेंडर भरा। 15 अक्टूबर को टेंडर खोला गया, जिसमें सबसे कम रेट वाले ठेकेदार जितेंद्र कुमार ठाकुर को दोनों कार्यों का ठेका मिल गया।

ठेकेदार अनिल मजुमदार का आरोप है कि जितेंद्र कुमार ई-पंजीयन के दस्तावेज में कूटरचना की है। जितेंद्र कुमार ने (www.pwd.cg.nic.in) में 4 अक्टूबर 2014 को ई-पंजीयन कराया था। यह ई-पंजीयन 5 साल के लिए वैध था। इस हिसाब से ई-पंजीयन की वैधता तिथि 3 अक्टूबर 2019 को समाप्त हो गई थी। यानी कि जिस दिन टेंडर खोला गया, उस दिन जितेंद्र कुमार के ई-पंजीयन की वैधता तिथि समाप्त हो गई थी। अनिल मजुमदार का आरोप है कि जितेंद्र कुमार ने वैधता तिथि दिखाने के लिए ई-पंजीयन की तारीख में छेड़छाड़ की है। मसलन, उन्होंने 4 अक्टूबर 2014 की जगह 4 अक्टूबर 2015 दर्ज कर कंप्यूटराइज्ड कापी जमा की। इस तरह से कूटरचना कर जितेंद्र कुमार ने टेंडर हथिया लिया। फिलहाल निगम प्रशासन उनके आरोपों की जांच कर रहा है।

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