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वाट्सएप में सेंध के जरिए निजता पर हमला, सरकार पर जासूसी का लग रहा है आरोप…पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता है निशाने पर…

लोगों की निजता में सरकार के ताकझांक का मामला फिर से चर्चा के केंद्र में है. वाट्सएप ने जिस तरह की जानकारी दी है उससे सवाल तो उठते ही हैं कि सरकार आखिरकार पत्रकारों या सामाजिक कार्यकर्ताओं की निजता की जासूसी क्यों कर रही है. क्यों उनके फोन और मेल की जानकारी उनके फोन या कंप्यूटर में घुस कर सरकार हासिल कर रही है. इस बात की चर्चा ने फिर जोर पकड़ा है कि सरकार ने इजराइल की एक कंपनी की मदद से देश के जानेमाने सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकारों की निजी जानकारियां खंगाली हैं. हालांकि सरकार इससे इनकार कर रही है.

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने वाट्सएप जासूसी मामले पर कहा कि भारत के नागरिकों की वाट्सएप पर निजता का उल्लंघन होने को लेकर सरकार चिंतित है. हमने वाट्सएप से इस बारे में बात की है और उनसे पूछा है कि वह लाखों भारतीयों की निजता की सुरक्षा को लेकर क्या कर रहे हैं. रविशंकर ने कहा कि सरकार सभी भारतीय नागरिकों की निजता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है. सरकारी एजंसियों के पास देश हित में रोक लगाने के लिए स्थापित प्रोटोकॉल है. इसका इस्तेमाल केंद्र और राज्य सरकार के सीनियर अधिकारी पाबंदी लगा कर या सुपरविजन के जरिए कर सकते हैं.

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि जो लोग इसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें याद दिलाने की जरूरत है कि यूपीए के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के दफ्तर में और सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह के यहां जासूसी की गई थी. ये ऊंचे ओहदों पर तैनात लोगों की जासूसी एक परिवार के लिए थी. यह अलग बात है कि रविशंकर प्रसाद यह दलील देते हुए यह भूल गए कि दो साल पहले केंद्र सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि जनता के शरीर भी पूरी तरह उनका नहीं है.

वाट्सएप काल में सेंध और फोन हैकिंग के मामले ने तूल पकड़ लिया है क्योंकि आजकल लगभग हर कोई मोबाइल में वाट्सएप का इस्तेमाल कर रहा है. अब इसे लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आई. दरअसल वाट्सएप के अधिकारियों ने बताया है कि इस हफ्ते उनकी ओर से कई भारतीयों को कहा गया कि एक इजरायली ‘स्पाइवेयर’ ने वाट्सएप के जरिए उनकी जासूसी की है. इनमें भारतीय पत्रकार, सामाजिक कार्यक्रता शामिल हैं. इनकी जासूसी मई के महीने में की गई. वाट्सएप की पैरेंट कंपनी फेसबुक की ओर से इजरायल की साइबर सिक्योरिटी कंपनी एनएसओ पर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया है कि उसने वाट्सएप के सर्वर का इस्तेमाल कर 1400 वाट्सएप यूजरों को यह मॉलवेयर फैलाया है जिसकी जरिए उसने जासूरी की है. इनमें बीस देशों के पत्रकार, सरकार के उच्चाधिकारी, मानवाधिकार एक्टिविस्ट शामिल हैं. भारत में वायोन टीवी के पत्रकार सिद्धांत सिब्बल ने ट्ववीट कर बताया है कि उनसे भी वाट्सएप की ओर से संपर्क किया गया है.

उन्होंने कहा है कि तकनीकी और कानूनी कदम उठाने की बात कही गई है. इस स्पाइवेयर के जरिए वाट्सएप इस्तेमाल करने वाले शख्स के मैसेज, कॉल और पासवर्ड की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है. कितने लोगों की जासूसी की गई है इसकी कोई निश्चित तादाद तो वाट्सएप की ओर से नहीं बताई गई, लेकिन उसकी ओर से यह जरूर कहा गया है कि उसने प्रभावित लोगों को फोन कर सूचना दे दी है. माना जा रहा है कि भारत में यह जासूसी अप्रैल के दो हफ्ते में की गई है. फेसबुक ने मई के महीने में घोषणा की थी कि उसने एक साइबर अटैक को नाकाम कर दिया है.

इस स्पाईवेयर का नाम पीगसस है. जैसी ही कोई किसी को वीडियो कॉल करता है तो साइबर हमला करने वाला शख्स एक कोड जारी करता है जिसके जरिए यह आपके फोन में इंस्टॉल हो जाता है. भले ही वीडियो कॉल को आपने रिसीव न किया हो. फोन में इंस्टॉल होने के बाद इसके जरिए आपके फोन, कॉल, वाइस कॉल, पासवर्ल्ड, कॉन्टेक्ट लिस्ट, कलेंडर इवेंट, माइक्रोफोन, कैमरे तक की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है. वहीं इजरायल कंपनी ने ऐसी किसी भी आरोप से इनकार किया है और कहा कि इसका कोर्ट में सामना किया जाएगा. उसकी ओर से कहा गया है कि उसकी तकनीकि पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ करने के लिए नहीं है. साथ में यह भी कहा कि पीगसस वैध सरकारी एजेंसियों के लिए ही लाइसेंस मिला है.

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