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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा- कोरोना लॉकडाउन में भी साफ नहीं हो सकी गंगा, और भी खराब हुए हालात…

देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान हवा साफ हुई लेकिन नदियों की स्वच्छता पर कोई खास असर नहीं दिखा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने देश की 19 नदियों पर किए अध्ययन में यह दावा किया है। रोचक बात यह है कि गंगा समेत पांच प्रमुख नदियों के पानी की गुणवत्ता लॉकडाउन में सुधरने की बजाय बिगड़ गई।

सीपीसीबी की बुधवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, लॉकडाउन से पूर्व गंगा के पानी की 65 स्थानों पर चार मानकों पर जांच की गई। इसमें डीओ, बीओडी, पीएच तथा एफसी शामिल हैं। इनमें से 42 स्थानों पर पानी को प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पाया गया जो खुले में स्नान के उपयुक्त होता है। इस प्रकार करीब 64.6 फीसदी स्थानों पर पानी ठीक था। लेकिन लॉकडाउन के दौरान 54 स्थानों पर पानी की गुणवत्ता की जांच हुई। इनमें से 25 स्थानों (46.3 फीसदी) पर पानी नहाने के मानकों के अनुरूप पाया गया।

उत्तराखंड में स्थिति संतोषजनक, यूपी में खराब

रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में लॉकडाउन से पूर्व छह और लॉकडाउन के दौरान जांचे गए सभी पांच स्थानों पर पानी मानकों के अनुरूप मिला। जबकि उप्र में लॉकडाउन से पूर्व 27 में से 14 और लॉकडाउन के दौरान 14 में से 8 स्थानों पर ही मानकों के अनुरूप मिला।

बिहार में खराब नतीजे, झारखंड में अंतर नहीं

बिहार में लॉकडाउन से पूर्व सभी 17 स्थानों पर पानी ठीक था लेकिन लॉकडाउन के दौरान 17 में से छह स्थानों पर ही सही निकला। झारखंड में लॉकडाउन से पहले और दौरान सभी चार स्थानों पर पानी मानकों के अनुरूप था। जबकि पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन से पहले 11 में से एक तथा लॉकडाउन के दौरान 14 में से दो स्थानों पर ही पानी मानक के अनुरूप निकला।

ऑक्सीजन का स्तर थोड़ा बढ़ा

रिपोर्ट के अनुसार 26 स्थानों पर घुलनशील आक्सीजन (डीओ) की मात्रा में 1-38 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी जबकि 23 स्थानों पर इसमें 1-40 फीसदी तक की कमी पाई गई। इसी प्रकार 19 स्थानों पर बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी) में बढ़ोतरी देखी तथा 26 स्थानों पर बीओडी में 3-71 फीसदी की कमी दिखी। चार स्थानों पर कोई अंतर नहीं दिखा। कोलीफार्म (एफसी) की मात्रा चार केंद्रों पर 27-325 फीसदी तक बढ़ी हुई दिखी जबकि 34 केंद्रों पर इसमें कमी देखी गई। दो केंद्रों पर कोई रुझान नहीं मिला।

ब्यास, चंबल के पानी की गुणवत्ता भी बिगड़ी

गंगा के अलावा जिन अन्य नदियों की गुणवत्ता कम हुई है उनमें ब्यास, चंबल, सतुलज तथा स्वर्णरेखा नदियां शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन पांच नदियों के जल की कुल गुणवत्ता में कोई सुधार नहीं दिखा है। बल्कि कई स्थानों पर कम हुई।

प्रदूषण के तीन कारण:

नदियों में बिना शोधन या आशिंक शोधन के ही सीवेज डाला जा रहा।

नदियों के जल में प्रदूषक तत्व पहले से ही उच्चतम स्तर तक घुल चुके थे।

तीसरा जल स्रोतों से ज्यादा मात्रा में ताजा पानी नहीं छोड़ा जा रहा था।

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