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गवाह सुरक्षा मामले का दायरा सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाया

उच्चतम न्यायालय ने आसाराम बापू मामले में गवाहों की सुरक्षा के मुद्दे का दायरा व्यापक करते हुए केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों से आज यह जानना चाहा कि खासकर संवेदनशील एवं हाई-प्रोफाइल मामलों में गवाहों की सुरक्षा कैसे की जा सकती है? न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की खंडपीठ ने एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की दलीलें सुनने के बाद सभी राज्यों को नोटिस जारी करके इस मुद्दे पर उनसे जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति सिकरी ने अपने आदेश में कहा, चूंकि इस याचिका में हम मुख्य तौर पर गवाह सुरक्षा कार्यक्रम के मुद्दे पर विचार कर रहे हैं, इसलिए सभी राज्यों को नोटिस जारी करना ही उचित होगा।

न्यायालय आसाराम बापू के खिलाफ बलात्कार मामले के गवाहों को सुरक्षा प्रदान करने के मसले पर विचार विमर्श कर रहा है। शीर्ष अदालत ने 24 मार्च को गवाह सुरक्षा योजना पर अमल के बारे में हरियाणा और उत्तर प्रदेश से सवाल किये थे और उन्हें आसाराम के खिलाफ मामलों के गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया था।

उत्तर प्रदेश में इस तरह के तीन और हरियाणा में ऐसा एक गवाह रहता है। न्यायालय ने दोनों राज्य सरकारों से उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया था। न्यायालय ने पिछले साल 18 नवंबर को केन्द्र और राज्यों से आसाराम के खिलाफ मामलों के गवाहों द्वारा सुरक्षा के लिये दायर याचिकाओं पर जवाब मांगा था। न्यायालय में याचिका दायर करने वाले चार गवाहों में महिन्दर चावला, नरेश गुप्ता, करमवीर भसह और नरेन्द्र यादव हैं।

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