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जानिए राम रहीम डेरे में पहले दिन हुई रेड में क्या मिला

रेप के दोषी गुरमीत राम रहीम के डेरे में शुक्रवार सुबह 9 बजे शुरू हुआ सर्च ऑपरेशन शाम 6.30 बजे खत्म हुआ। पहले दिन का सर्च ऑपरेशन 9.30 घंटे चला।  बलात्कारी गुरमीत के सिरसा में 700 एकड़ में फैले डेरे में ये तलाशी अभियान पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देश पर हो रहा है।  10 जेसीबी, 36 ट्रैक्टर ट्रॉफी, 60 कैमरे, 60 टीमें और 6 हज़ार जवानों की मदद ली गई।  राम रहीम के डेरे में महल है, गुफ़ा है, सेवेन वंडर्स हैं, सिनेमाघर है, बिना नंबर वाली करोड़ों की कार है।  और भी बहुत कुछ है।  रेड शुरू हुई है तो बात अब दूर तलक जाएगी। इस रास महल में छुपा हर राज़ फ़ाश होगा।  हर मिस्ट्री बेनक़ाब होगी और ख़ुद को बाबा कहने वाले गुरमीत राम रहीम की तमाम करतूतें बेपर्दा होंगी।

– शुक्रवार सुबह साढ़े नौ घंटे तक सर्च ऑपरेशन चला
– जांच टीम राम रहीम की ख़ुफ़िया गुफ़ा तक पहुंची तो उसे गुफ़ा में 2 नाबालिग और 3 युवक मिले
– गुफ़ा से दो वॉकी-टाकी भी मिले इसके साथ ही नक़दी से भरे दो कमरों को सील कर दिया गया
– सर्च ऑपरेशन के दौरान डेरा के भीतर चलने वाली अपनी करेंसी भी मिली
– पहले दिन जांच में लगी 60 टीमों ने गेट नंबर 7 के आस-पास तलाशी ली
– एमएसजी सिनेमा हाल, डेरा का ध्यान केंद्र, सच कहूं अख़बार का दफ़्तर, डेरे का अस्पताल में तलाशी
– डेरे में भारी तादाद में जूते, माला और कपड़े मिले

कैश से भरे मिले दो कमरे

डेरा में सर्च ऑपरेशन के दौरान दो कमरे कैश से भरे मिले हैं, जिन्हें सील कर दिया गया है।  डेरे से भारी मात्रा में 500 और 1000 के पुराने नोट भी बरामद हुए हैं।  इस बात का पता नहीं चल पा रहा है कि डेरे में कितने पुराने नोट छिपा कर रखे गए थे।  हरियाणा सरकार के डिप्टी डायरेक्टर सतीश मेहरा ने ज़ी न्यूज़ से बातचीत की डेरा से करीब 12,000 रूपये की नई करेंसी भी बरामद हुई है. वैसे करेंसी का आंकड़ा कितना ऊपर जाएगा, अभी नहीं कहा जा सकता।

खुद के सिक्के चलाता था राम रहीम

ये बात शुरू से ही सामने आ रही थी राम रहीम के डेरे में उसका खुद का सिक्का चलता है। यही वजह है कि डेरे में सर्च ऑपरेशन चला रही टीम की नजर राम रहीम की अपनी करेंसी पर थी। इस टीम को डेरे के अंदर वही करेंसी मिली।  दरअसल, राम रहीम के अनुयायी डेरे के अंदर अपनी दुकानें भी चलाते थे। ये दुकानदार अपने ग्राहकों को छुट्टा देने के लिए अपनी खुद की प्लास्टिक करेंसी चलाते थे। जिन दुकानों में ये करेंसी चलती थी, उनके नाम के साथ सच लिखा होता था।  ग्राहक के पास  खुल्ला नहीं हो पाने पर दुकानों से उन्हें प्लास्टिक के सिक्के या टोकन मिला करते थे।  इनका इस्तेमाल डेरे की किसी भी दुकान से सामान खरीदने में किया जाता था।

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