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Weather Alert: मानसून ने बढ़ाई एक्सपर्ट्स की चिंता, जानें कब तक होती रहेगी देश में बारिश…

जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून का पैटर्न बुरी तरह से प्रभावित हो चुका है। जलवायु विशेषज्ञों के अनुसार, मानसून चक्र में बदलाव आ चुका है। इसके प्रभाव लगातार नजर आ रहे हैं। उत्तर-पश्चिम भारत में मानसून के छंटने में करीब एक पखवाड़े का विलंब हो चुका है लेकिन मौसम वैज्ञानिकों को आशंका है कि इस साल पूर्व के सभी रिकॉर्ड टूट सकते हैं। पिछले कई सालों से लगातार मानसून के आने और छंटने में विलंब हो रहा है।

मौसम के मिजाज में आ रहे बदलावों के बाद मौसम विभाग ने पिछले साल मानसून के आगमन एवं छंटने की तिथि में बदलाव किया था। मानसून के छंटने की शुरूआत राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों से तीन-चार सितंबर से शुरू हो जाती थी जिसे बढ़ाकर 17 सितंबर कर दिया गया। इसमें करीब दो सप्ताह की अवधि की बढ़ोत्तरी की गई। लेकिन 29 सितंबर की तिथि निकल जाने के बावजूद अभी भी मानसून छंटना शुरू नहीं हुआ है।

मौसम विज्ञान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. राजेन्द्र जेनामणि के अनुसार तीन पैरामीटर देखने के बाद निर्धारित किया जाता है कि मानसून छंटना शुरू हुआ या नहीं। एक, पूर्वी हवाओं की सक्रियता खत्म हुई या नहीं ? दूसरे, हवा शुष्क है या नहीं। तीसरे, बारिश हो रही है या नहीं। अभी तीनों पैरामीटर मौजूद हैं। पूर्वी हवाएं सक्रिय हैं। हवाएं नमी धारण किए हुए हैं तथा बारिश भी हो रही है। यह दर्शाता है कि मानसून अभी सक्रिय है। जेनामणि के अनुसार तीन अक्तूबर तक इस स्थिति में बदलाव के आसार नजर नहीं आते हैं। तीन अक्टूबर के बाद की स्थिति का आकलन अभी नहीं किया गया है।

जलवायु वैज्ञानिकों का मानना है कि जिस प्रकार से समुद्र में लगातार निम्न दबाव के क्षेत्र और चक्रवात निर्मित हो रहे हैं, वह अगले कुछ दिनों तक मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं होने देंगे। इसलिए यह आशंका बनी हुई है कि मानसून का छंटना अक्टूबर के पहले सप्ताह में भी शायद ही संभव हो।

मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार 1963 के बाद से ऐसे दो मौके आएं हैं जब मानसून ने राजस्थान के पश्चिमी हिस्से से अक्टूबर में छंटना शुरू किया हुआ हो। 1963 में एक अक्टूबर को मानसून छंटना शुरू हुआ था। उसके बाद 2019 में नौ अक्टूबर से मानसून छंटना शुरू हुआ था। अब एक साल के बाद पुन यह स्थिति आ रही है। हो सकता है कि इस बार 2019 का रिकार्ड भी टूट जाए। यहां यह महत्वपूर्ण है कि देरी से मानसून छंटने की घटना जल्दी हो रही है। यदि नौ अक्टूबर से पहले भी मानसून छंटना शुरू हो जाता है तो भी यह तय है कि 1963 के बाद यह दूसरा साल होगा जब मानसून का छंटना देरी से शुरू हुआ है। यह स्पष्ट दर्शाता है कि मानसून पर जलवायु खतरे का प्रभाव साफ नजर आ रहा है तथा उसकी आवृत्ति बढ़ रही है।

मानसून चक्र में 15-20 दिनों का आ चुका है बदलाव

इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के अनुसंधान निदेशक और आईपीसीसी रिपोर्ट के लेखक डॉ. अंजल प्रकाश ने कहा कि इस खतरे को आईपीसीसी ने अपनी रिपोर्ट में पहले ही उजागर किया है। 2019 की रिपोर्ट के अनुसार समुद्र के तापमान में 0.8 डिग्री की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। इससे मानसून के दौरान अतिवृष्टि में बढ़ोत्तरी हो रही है तथा उसकी आवृत्ति भी बढ़ रही है। उस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिग भारतीय मानसून को बहुत नुकसान पहुंचा रही है। मौजूदा समय में मानसून के चक्र में 15-20 दिनों का अंतर पहले ही आ चुका है। यह फसल चक्र तक पर असर कर रहा है। इसी प्रकार चक्रवाती तूफानों की भी संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है जो एक दिन में दो सौ मिमी बारिश जैसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार हैं।

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