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आखिर क्या है ला नीना इफ़ेक्ट ? जिसके कारण भारत में पड़ेगी हाड कंपा देने वाली ठंड…

आखिरकार भारत से मानसून ने विदाई ले ली है. अमूमन 15 अक्टूबर तक पूरे भारत से मानसून की वापसी हो जाती है, किन्तु इस बार इसकी वापसी में देर हो गई. यही नहीं अब अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल भारत में ठंड भी लोगों में अधिक ठिठुरन पैदा करने वाली रहेगी. भारतीय मौसम विभाग का भी यही कहना है कि इस साल की ठंड विगत कुछ वर्षों की तुलना में अधिक तीखी होने वाली है.

यह अनुमान सुदूर प्रशांत महासागर में हुए मौसम के बदलावों के कारण लगाया जा रहा है. जिसका असर दुनियाभर पर होगा. ये बदालव ला नीना (la Nina) प्रभाव के चलते आ रहे हैं. बता दें कि ला नीना एक स्पेनिश शब्द है, जिसका अर्थ छोटी बच्ची होता है. यह एक जटिल प्रक्रिया एन नीनो साउदर्न ऑसिलेशन (ENSO) चक्र का हिस्सा होता है, जो प्रशांत महासागर में घटित होती है, जिसका असर पूरे विश्व के मौसमों पर पड़ता है. इस प्रक्रिया के दूसरे हिस्से को अल नीनो कहते हैं (स्पेनिश भाषा में छोटा बच्चा) जिसका ला नीना के मुकाबले बिलकुल उलटा असर होता है.

इस पूरे चक्र में प्रशांत महासागर के भूगोल में महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो अमेरिका के पर्वतों से लेकर एशिया और ऑस्ट्रेलिया तक फैला है. ENSO प्रशांत महासागर की सतह पर पानी और हवा में असामान्य परिवर्तन लाता है. इसका प्रभाव पूरे विश्व के वर्षण, तापमान और वायु संचार के स्वरूपों पर पड़ता है. जहां ला नीना ENSO के ठंडे प्रभाव के रूप में देखा जाता है, वहीं अल नीनो गर्मी लाने वाले असर के रूप में देखा जाता है.

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