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दुनियाहादसा

Asteroid OR2: पृथ्वी के काफी क़रीब से गुजरा उल्कापिंड, कोई नुकसान नहीं, अब इस वर्ष होगा अगला संयोग…

दुनिया भर में कुछ दिनों से उल्‍कापिंड पृथ्वी से टकराने को लेकर एक तरह खौफ बना हुआ था। लेकिन अब राहत मिली है कि बगैर किसी आहट के पृथ्‍वी के काफी करीब से उल्‍कापिंड गुजर गया है। बुधवार को भारतीय समयानुसार 3 बजकर 26 मिनट पर यह उल्‍कापिंड गुजरा और इससे पृथ्‍वी के किसी हिस्‍से को कोई नुकसान नहीं हुआ। दक्षिण अफ्रीका की ऑब्‍जर्वेटरी की ओर से इस खगोलीय घटना की पुष्‍टि भी की गई है। अब इस तरह का अगला संयोग 2079 में होगा।

ऑब्‍जर्वेटरी की ओर से किए गए ट्वीट में बताया गया है कि यह विनाशकारी उल्‍कापिंडों में से एक है, इसमें एक वीडियो भी पोस्‍ट की गई है। पहले भी इस बात की उम्‍मीद जताई गई थी कि यह बिना पृथ्‍वी से टकराए निकल जाएगा। प्‍यूर्टो रिको के ऑब्‍जर्वेटरी में 8 अप्रैल से इस उल्‍कापिंड की मॉनिटरिंग की जा रही है, इसके अनुसार इसकी रफ्तार 19,461 मील (31,320 km/h) प्रति घंटे की थी। 1998 OR2 नामक इस उल्‍कापिंड की खोज एस्‍टेरॉयड ट्रैकिंग प्रोग्राम के जरिए की गई थी। चपटी कक्षा वाले इस उल्‍कापिंड की खोज 1998 में हो गई थी। तभी से इस पर शोध जारी है। सूर्य की परिक्रमा करने में इसे 1344 दिन का समय लग जाता है।

नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान एरीज के खगोल वैज्ञानिक डॉ. शशिभूषण पांडे ने पहले ही बता दिया था कि इस आकाशीय घटना से डरने की कोई बात नहीं है क्‍योंकि यह उल्‍कापिंड पृथ्‍वी से 60 लाख किलोमीटर की दूरी से गुजरेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि अब वर्ष 2197 में यह उल्‍कापिंड फिर से धरती के करीब से गुजरेगा उस वक्‍त फासला कम हो जाएगा। बता दें कि ऐसे उल्‍कापिंड अक्सर धरती के करीब से होकर गुजरते हैं।

सौर मंडल में लाखों करोड़ों की संख्या में उल्‍कापिंड घूम रहे हैं जो एस्‍टेरॉयड बेल्‍ट के नाम से जाना जाता है। इनमें से कुछ बृहस्पति के गुरुत्वाकर्षण के कारण अपने ऑर्बिट से बाहर आ जाते हैं। वहीं इनमें से कुछ धरती के नजदीक भी पहुंच जाते है और यही ‘नियर अर्थ ऑब्‍जेक्‍ट’ कहलाता है। संभावित खतरनाक वस्‍तु के तौर पर वर्गीकृत इस उल्कापिंड का आकार 140 मीटर से बड़ा है। हालांकि, इसके बाद भी वैज्ञानिकों ने इस पर नजर रखना जारी रखा है ताकि यह पता लगाया जा सकते कि पृथ्वी के नजदीक से निकलने के बाद क्या होता है। ऑब्जर्वेटरी के एक शोध वैज्ञानिक फ्लेवियन वेंडीटी के अनुसार, इस उल्‍कापिंड के आगे के लोकेशन के बारे में रडार मैप से जानकारी मिलेगी।

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