बताया गया है कि हाल ही एक शोध किया गया है कि जिसमें ये बात सामने आर्इ् है कि एक नाइट शिफ्ट में करने वाले लोग सिर्फ अपनी आधी ज़िंदगी ही जी पाते हैं। लगातार नाइट शिफ्ट में काम करने वालों के शरीर में डीएनए रिपेयर की क्षमता काफी कम हो जाती है। जो कि उनके पूरे शरीर को प्रभावित करती है। इस शोध को भारत के वैज्ञानिकों और विदेश के वैज्ञानिकों ने मिलकर एक साथ पूरा किया है।
वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि डीएनए के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण आपके शरीर में काफी भयानक बीमारी होने का खतरा भी बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। इसके आगे वैज्ञानिकों ने बताया है कि इन खतरों से बचने के लिए नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को मेलाटोनिन नाम का सप्लीमेंट लेना चाहिए ताकी उनके शरीर में डीएनए अपना काम पूरी तरह से कर सके।
इसके आगे वैज्ञानिकों ने यह भी बताया है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को नींद भी कम आती है जिसके कारण भी उनके शरीर में काफी बीमारियां पैदा हो जाती हैं रात में काम करने वाले व्यक्तियों में डीएनए टिश्यू रिपेयर के रासायनिक प्रति उत्पाद 8-ओएच-डीजी का स्तर बहुत कम हो जाता है। जिसके कारण उनको नींद नहीं आने की बीमारी भी हो जाती है। इसके कारण उनके शरीर में 8 ओएच डीजी की मात्रा ज्यादा होने लगती है और उनके शरीर में कोशिकाओं की संख्या भी बढ़ जाती है। जिसके कारण उनका डीएनए क्षतिग्रस्त हो जाता है।