गुप्त मनोकामना की करनी है पूर्ति तो करें यह आसान उपाय
मानव जीवन जब तक रहता है, तब तक मानव के हृदय में अनेक तरह की कामनाएं रहती है। एक कामना पूर्ण हो जाती है तो दूसरी कामना जन्म लेती हैं। मनोकामनाओं को मानव किसी के भी आगे व्यक्त कर सकता है तो कुछ कामनाएं ऐसी हैं, जिन्हें किसी के सामने व्यक्त नहीं किया जा सकता है। नवरात्रि में आप अपनी गुप्त मनोकामना या हृदय की समस्त कामनाओं की पूर्ति कैसे की जा सकती है, यही आज हम आपको बताएंगे।
श्री बालाजी धाम सहारनपुर के संस्थापक गुरू श्री अतुल जोशी जी महाराज बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती के सभी 13 अध्यायों में वैसे तो दैत्यों के वध की कथा है, लेकिन प्रत्येक अध्याय का अलग ही महत्व है। दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय उन लोगों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण है, जो अपने हृदय अथवा गुप्त मनोकामनाओं की पूर्ति करना चाहते है। इसके लिए सही समय शारदीय नवरात्र ही है।
उन्होंने बताया कि दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय में असुर चण्ड मुण्ड के वध का वर्णन मिलता हैं। इस अध्याय का पाठ करने का फल हमें यह मिलता है कि हमारी गुप्त कामनाएं पूर्ण हो जाती है। इसके लिए आपको करना क्या है। आप नित्य प्रति की तरह ही माता की चौकी के सामने बैठ जाएं।
दुर्गा सप्तशती के प्रथम मंत्रों का उच्चारण करने के बाद दुर्गा सप्तशती के सातवें अध्याय का पाठ प्रारंभ करें। इसके बाद मन ही मन में देवी के सामने अपने हृदय और गुप्त कामनाओं का वर्णन करे। देवी से प्रार्थना करें कि जिस प्रकार वह अपने समस्त भक्तों की रक्षा करती है और उन्हें मनवांछित फल प्रदान करती है, हे देवी उसी प्रकार मेरी गुप्त मनोकामनाओं की भी पूर्ति करें।
देवी को मिष्ठान व फल आदि का भोग लगाए। आरती करें और क्षमा याचना करें। ज्ञात रहे कि आपने देवी के समक्ष अपनी जो गुप्त मनोकामनाएं रखी हैं, उन्हें किसी अन्य समक्ष कदापि प्रकट न करें।