भारतीय रेल आम आदमी की सवारी है, लेकिन उसी आम आदमी से वेटिंग टिकट के जरिये भी रेलवे कमाई कर रहा है. आम आदमी की जेब कैसे काटी जाए उसके लिए नए-नए नुस्खे अपनाए गए हैं. यात्री चार्ट बनने तक इंतजार करते हैं अगर टिकट कंफर्म नहीं हुआ और कैंसल कराया तो पैसे कट गए. इस बीच रेलवे को कमाई का मौका मिल गया. पिछले एक साल में इससे रेलवे के खाते में लगभग 73 करोड़ रुपये आ गए.
देश में परिवहन का सबसे बड़ा साधान रेल है, रेल की यात्रा हमेशा ही अन्य साधनों की तुलना में बेहतर और कम खर्च वाली रही है. इन सुधारों के शोर के दौर में रेलवे ने यात्रियों की जेब भी खूब काटी है. यह खुलासा हुआ है सूचना के अधिकार के तहत सामने आई जानकारी से.
आरटीआई से हुआ खुलासा
मध्यप्रदेश के नीमच जिले के सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने रेलवे से जानना चाहा था कि आखिर ऐसे कितने यात्री हैं, जो चार्ट बनने के बाद एक साल में वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म न होने पर यात्रा नहीं कर पाए और उससे रेलवे को कितने रुपये की आमदनी हुई.
लगभग 73 करोड़ की कमाई
सेंटर फॉर रेलवे इंफॉर्मेशन सिस्टम ने जो जानकारी मुहैया कराई है, वह इस बात का खुलासा करती है कि चार्ट बनने के बाद सभी श्रेणियों के वेटिंग लिस्ट टिकट के कंफर्म न होने पर रेलवे को खूब आमदनी हुई है. ब्योरे के मुताबिक, साल 2016-17 में चार्ट बनने पर वेटिंग लिस्ट में रहे 77,92,353 टिकट रद्द कराए गए, जिससे रेलवे को 72,38,89,617 रुपये की कमाई हुई.
हर साल करोड़ों की कमाई
साल 2013-14 में 70,53,031 टिकट चार्ट बनने के बाद निरस्त हुए, जिससे 45,68,29284 रुपये हासिल हुए. वहीं साल 2014-15 में 79,62,783 टिकट रद्द हुए, जिससे रेलवे के खाते में 37,93,33,430 रुपये की आमदनी हुई, जबकि साल 2015-16 में 80,72,343 यात्रियों ने टिकट रद्द कराए, जिससे रेलवे को 52,81,82,167 रुपये मिले.
हर रोज 21 हजार यात्री बुक कराते हैं टिकट
रेलवे की ओर से उपलब्ध कराए गए ब्योरे पर ही गौर करें तो एक बात तो साफ हो जाती है कि बीते साल 2016-17 में ही औसत तौर पर हर रोज 21,348 यात्रियों ने यात्रा की योजना बनाई है और चार्ट बनने तक इंतजार किया है और उन्हें कट कर पैसे मिले.
रोजना 20 लाख की आमदनी
वहीं दूसरी ओर इसी वर्ष में चार्ट बनने के बाद प्रतीक्षा सूची में रह गए यात्रियों के टिकट रद्द हुए तो रेलवे को हर रोज लगभग 20 लाख रुपये की आमदनी भी हुई है. रेलवे में सुधारों के दौर में टिकट वापसी पर राशि में की जाने वाली कटौती में भी बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है. 12 नवंबर, 2015 तक जहां स्लीपर क्लास के आरएसी, वेटिंग टिकट को 48 घंटे पहले रद्द कराने पर 30 रुपये कटते थे, वहीं अब 60 रुपये कटते हैं, इसी तरह कंफर्म टिकट पर 60 की बजाय 120 रुपये कटने लगे हैं.
जम कर कटी यात्रियों की जेब
यात्रियों की जेब काटने में रेलवे यहीं नहीं रुका, उसने कंफर्म टिकट के गाड़ी आने के 48 घंटे से छह घंटे के बीच टिकट निरस्त कराने पर 25 प्रतिशत की राशि की कटौती होती थी, अब समय 48 से 12 घंटे के बीच ही यह सुविधा मिलती है. इसके अलावा गाड़ी के समय से छह घंटे पहले से और गाड़ी जाने के दो घंटे बाद तक टिकट निरस्त करने पर 50 प्रतिशत राशि वापस होती थी, अब गाड़ी आने के 12 से चार घंटे के बीच टिकट निरस्त कराने पर 50 प्रतिशत ही मिलती है. वहीं चार घंटे से कम का समय होने पर कोई राशि नहीं लौटाई जाती.
किराये से बढ़ रही है रेलवे की आमदनी
रेलवे की यात्री किराए से होने वाली आय साल दर साल बढ़ रही है. साल 2012-13 में जहां 31322.84 करोड़ थी जो साल 2013-14 में 36532.25 करोड़, साल 2014-15 में 42189.61 करोड़, साल 2015-16 में 44283.26 करोड़ और साल 2016-17 में बढ़कर 46280.45 करोड़ रुपये हो गई.
वापस होने चाहिए पूरे पैसे
सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ का कहना है कि सरकार को नबंवर, 2015 में किए बदलाव की जनहित में समीक्षा करनी चाहिए. साथ ही जिन भी यात्रियों के टिकट वेटिंग लिस्ट में रह जाते हैं, उनकी पूरी राशि वापस करना चाहिए. ऐसा इसलिए कि उन यात्रियों की तो कोई गलती होती नहीं है, वे तो यात्रा करना चाहते हैं, मगर रेलवे ही उन्हें जगह नहीं देता.