बिलासपुर। शेडो कलेक्टर की भूमिका निभाने पहुंचीं चेतना देवांगन को महज एक घंटे में अफसरशाही का सामना करना पड़ा। उन्हें बड़ी कुर्सी में बैठने के बदले अपमानित होना पड़ा। अंत में उन्हें छोटी कुर्सी ही नसीब हुई।इस से पहले जब वह कलेक्टर पहुची तो उन्हें रिसाव करने वाला कोई अफसर नही था । अलबत्ता चपरासी ने बुके थमा कर स्वागत की औपचारिकता निभाई । कलेक्ट्रेट में प्रवेश और मंथन में उनके साथ जो हुआ, उनके चेहरे का भाव बता रहा था कि वह मन ही मन खुद को अपमानित महसूस कर रही है। कोने में छोटी सी कुर्सी में बैठे चुपचाप वह अफसरों की बात सुनती रही।
राज्य शासन द्वारा चयनित बिलासपुर जिले की शेडो कलेक्टर चेतना देवांगन सुबह करीब 11 बजे मंथन सभाकक्ष में पहुंचीं। वहां कलेक्टर पी दयानंद की कुर्सी के बाजू में बड़ी कुर्सी रखी हुई थी। शेडो कलेक्टर की भूमिका में पहुंची चेतना कलेक्टर के बाजू वाली कुर्सी में बैठ गई। कुछ अधिकारी आते रहे, जिन्हें उन्होंने अपना परिचय दिया। इस दौरान फोटो खींचने का सिलसिला भी चला। वीडियो भी शूट हुआ। करीब 15 मिनट बाद जिला पंचायत सीईओ फरिहा आलम सिद्दीकी मंथन सभाकक्ष में पहुंचीं। कलेक्टर के लिए लगी कुर्सी के पास पहुंचते ही उन्होंने चेतना को कुर्सी से उठवा दिया। कहा- दूसरी कुर्सी में बैठो। वह दूसरी कुर्सी में बैठी ही थी कि जिला पंचायत सीईओ सिद्दीकी की नजर उस पर पड़ गई। वह कुर्सी भी बड़ी थी। अलबत्ता, उस कुर्सी से भी उठवा दिया गया। फिर उनके लिए अलग से छोटी कुर्सी मंगाई। छोटी कुर्सी में चेतना के बैठते ही सीईओ ने बैठक लेनी शुरू की। उस समय कलेक्टर पी दयानंद हाईकोर्ट गए थे। दोपहर में करीब साढ़े 12 बजे वे हाईकोर्ट से कलेक्टोरेट लौटे और मंथन सभाकक्ष पहुंचकर बैठक में मातहत अफसरों से जवाब-तलब करना शुरू किया।