सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को लगाई फटकार, कहा- अपनी मुकदमा नीति में लाएं सुधार
कोर्ट ने कहा कि सरकार पर इस वजह से पहले भी जुर्माना लगाया जा चुका है। इसके बावजूद सरकार ने इससे कोई सबक नहीं सीखा। सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए सरकार से पूछा है कि वह आखिर कब अपनी सो-सो कर जागने वाली आदत से बाज आएगी। केंद्र सरकार की मुकदमा नीति में सुधार की धीमी प्रक्रिया पर उसकी खिंचाई करते हुए जस्टिस मदन बी.लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की एक बेंच ने एनडीए सरकार के सुधारवादी नारे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस का हवाला दिया।
बेंच ने कहा कि ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की आड़ में न्यायापालिका से सुधार करने के लिए कहा जा रहा है। जिसके जरिए वास्तव में अपनी जिम्मेदारी दूसरों पर थोपी जा रही है। जस्टिस लोकुर और जस्टिस दीपक की बेंच ने कहा- हम उम्मीद करते हैं कि किसी दिन भारत संघ को यथार्थवादी और सार्थक राष्ट्रीय मुकदमा नीति तैयार करने के संबंध में अकल आएगी और जिसे वह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस कहती है। जिसे ईमानदारी से अगर लागू किया जाए तो देश भर के वादियों को फायदा पहुंचेगा।
पिछले साल आठ दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा दायर की गई अपीलों को खारिज कर दिया था। केंद्र ने उसी मामले पर कानून के एक जैसे सवालों से जुड़ी कई सारी अपीलें दायर की थी जिसे 9 मार्च को कोर्ट ने खारिज कर दिया था और 1 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह न्याय देने की प्रक्रिया पर अनावश्यक बोझ ना डाले और अपनी मुकदमा नातियों में बदलाव लाए।