सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक मामलों की जांच में तेजी लाने, स्पीडी ट्रायल के लिए प्रभावी कदम न उठाने और इसके लिए न्यायिक व्यवस्था की निंदा करने को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त लहजे में केंद्र से कहा है कि आप अपना काम तो पूरा करते नहीं हैं और अदालती कार्रवाई में समय लगने और न्याय में देरी की बात कर कोर्ट पर ऊँगली उठाते हैं.
जस्टिस मदन भीमराव लोकुर ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अमन लेखी से कहा कि, आप अपने लोगों से कहें कि अदालत की आलोचना करना बंद करें क्योंकि सत्तारूढ़ सरकार खुद ही अपना काम नहीं कर रही है. आप आपराधिक मामलों में स्पीडी ट्रायल के लिए खुद कोई कदम नहीं उठाते और अदालत की आलोचना करते हुए कहते हैं कि न्याय मिलने मे देर होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बंद कैदियों की दुर्दशा पर राज्य सरकारों की ढील पर भी सख्ती दिखाते हुए सवाल किया कि राज्य सरकारें आखिर कई नोटिस जारी किए जाने के बाद भी केंद्र को जवाब क्यों नहीं दे रही हैं. कोर्ट ने राज्यों से कहा कि वो बताएं उन्होंने अपने राज्य की जेलों में बंद कैदियों की हालत को सुधारने के लिए क्या व्यवस्था की है. अदालत ने कहा कि राज्यों का रवैया हैरान करने वाला है. कोर्ट ने गोवा और महाराष्ट्र का नाम लेते हुए कहा कि कई राज्यों के वकील तो अदालत में उपस्थित तक नहीं होते.