रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धान एवं अन्य कृषि उत्पादों से बायोफ्यूल उत्पादन की भरपूर संभावनाएं है। राज्य सरकार कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना इस दिशा में तेजी से काम करना चाहती है। मुख्यमंत्री आज यहंा कृषि उत्पाद से बायोफ्यूल उत्पादन विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री बघेल ने कृषि वैज्ञानिकों, शोध संस्थानों और उद्योगों से कहा कि धान से बायोफ्यूल उत्पादन के लिए ऐसी रणनीति तैयार करें जिससे किसानों को धान जैसी उपजों का उचित मूल्य मिले, उद्योगों को भी फायदा हो, स्थानीय लोगों को रोजगार, पर्यावरण संरक्षण भी हो और बायोफ्यूल की खरीदी की व्यवस्था हो। इस कार्यशाला का आयोजन राज्य के छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण और ऊर्जा विभाग द्वारा किया गया।
इस अवसर पर आई.आई.टी भिलाई के डायरेक्टर रजत मोना और छत्तीसगढ़ शासन के विशेष सचिव एवं ऊर्जा अब्दुल कैसर हक ने छत्तीसगढ में उन्नत जैर्व इंधन के शैक्षणिक एवं अनुसंधान की कार्ययोजना तैयार करने एवं बायोफ्यूल तैयार करने के संबंध में एमओयू पर हस्ताक्षर किए। कार्यशाला को वन मंत्री मोहम्मद अकबर, उद्योग मंत्री कवासी लखमा, सहकारिता मंत्री प्रेमसाय सिंह ने भी संबोधित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा राज्य सरकार 2500 रूपए प्रति क्विटंल के मान से किसानों से प्रति एकड़ 15 क्विटंल के मान से धान खरीदती है। समर्थन मूल्य पर 80 लाख टन धान खरीदी की जाती है जबकि यहां इससे अधिक धान का उत्पादन होता है। किसानों के लिए सिचांई साधानों के विकास और अन्य जरूरी सहायता के फलस्वरूप लगातार उत्पादन बढ़ता जा रहा है। वही दूसरी ओर अनाज के मामले में अन्य राज्य भी आत्मनिर्भर होेते जा रहे हैं। जिन राज्यों को छत्तीसगढ से धान भेजा जाता था, वे राज्य भी अब धान का उत्पादन करने लगे हैं।
ऐसी स्थिति में यदि धान से बायोफ्यूल बनाने की दिशा में आगे बढ़ते है तो कृषि आधारित उद्योगों की स्थापना होगी। किसानों को धान की अच्छी कीमत, स्थानीय युवाओं को रोजगार और पेट्रोलियम की खरीदी में खर्च होने वाली बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। खेती-किसानी भी लाभप्रद बनेगी। उन्होंने कहा कि धान से बायोफ्यूल बनाने का कार्य प्रदेश के साथ-साथ देश में एक अभिनव प्रयोग होगा। बायोफ्यूल का उत्पादन किस प्रकार वाइबल हो इसके लिए एक सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता है।
बघेल ने कहा कि यहां की जलवायु की अनुकूलता के कारण यहां किसानों के लिए धान की खेती करना बाध्यता है। राज्य में गन्ने का भी भरपूर उत्पादन हो रहा है। इसलिए कच्चे माल की आपूर्ति लगातार बनी रहेगी। इसी प्रकार यहा उद्योगों की स्थापना के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में बायोडीजल बनाने के पूर्व में हुए प्रयास हुए थे, जिसका अच्छा अनुभव नहीं रहा, उन प्रयासों से सीख ले कर हमें परिणाममूलक कार्य करना होगा।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा कि राज्य में धान के अतिरिक्त उत्पादन से बायोफ्यूल तैयार करने की पहल की सराहना की और कहा कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के नए द्वार खुलेंगे। सहकारिता मंत्री प्रेेमसाय सिंह ने कहा कि बायोफ्यूल निर्माण के लिए राज्य के शक्कर कारखानों से उत्पादित शक्कर एवं अन्य सह उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है।
धान से बायोफ्यूल उत्पादन करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य होगा
ऊर्जा विभाग के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी ने कहा कि इस कार्यशाला में बैकिंग वित्तीय संस्थानों, बायोफ्यूल तकनीकी, मार्केटिंग बायोमास हेतु जमीन, पानी, कच्चे माल आदि से जुड़े देश के करीब 30 संस्थानोें ने हिस्सा लिया। इन संस्थानों को चार समूहों में बांटा गया और छत्तीसगढ में कृषि उत्पाद से बायोफ्यूल उत्पादन के लिए अनुशंसा दी है। इन अनुशंसाओं के आधार पर छत्तीसगढ राज्य में बायोफ्यूल उत्पादन का विस्तृत प्रतिवेदन तैयार कर राज्य में एक समन्वित बायोफ्यूल नीति तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि इससे पहले बायोवेस्ट से बायोफ्यूल तैयार करने का कार्य किया जाता था। पहली बार कृषि उत्पादों से बायोफ्यूल बनाने के लिए रणनीति तैयार करने की पहल की जा रही है।
उन्होंने कहा कि धान से बायोफ्यूल उत्पादन के लिए अतिरिक्त धान एवं गन्ने जैसे उत्पाद की जरूरत प्रतिवर्ष पड़ेगी। इससे किसानों के फसल की खरीदी का मार्ग प्रशस्त होगा। किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढे़ंगे।