भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने के बाद उनके संभावित उत्तराधिकारी के रूप में भाजपा नेता जे पी नड्डा का नाम उभरा है । नड्डा नयी मोदी सरकार में शामिल नहीं हुए हैं । शाह के मोदी मंत्रिपरिषद में शामिल होने के बाद पार्टी के ‘एक व्यक्ति, एक पद’ सिद्धांत के तहत उन्हें भाजपा अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ सकता है ।
भाजपा के अध्यक्ष के पद को भाजपा काफी दूरदर्शी सोच के साथ किसी ऐसे नेता को सौंपेगी जो भाजपा को बड़े मकाम तक ले जा सके। इसके लिए जेपी नड्डा, भूपेन्द्र यादव और ओपी माथुर के नाम की भी चर्चा है। पर रेस में सबसे आगे जेपी नड्डा व भूपेन्द्र यादव बताए जा रहे हैं।
वैसे तो जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश के ब्राह्मण समुदाय से आते हैं और उन पर भाजपा शीर्ष नेतृत्व को काफी विश्वास है। उनका जुड़ाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी रहा है और उनकी छवि साफ सुथरी मानी जाती है। वह मोदी की अगुवाई वाली पहली राजग सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थे । यह मोदी व अमित शाह की टीम के भरोसे मंद सदस्य बताए जाते हैं। अगर ब्राह्मण चेहरे को खोजती है तो इनकी ताजपोशी तय है।
सूत्रों ने बताया कि नड्डा भाजपा संसदीय बोर्ड के भी सदस्य है जो भाजपा की शीर्ष निर्णय करने वाली संस्था है और इसका सदस्य होने के नाते वरिष्ठता के लिहाज से भी वह उपयुक्त माने जा रहे हैं।
इसके साथ साथ जेपी नड्डा के अलावा पार्टी महासचिव भूपेन्द्र यादव और ओपी माथुर के नाम की भी चर्चा है, जिसमें भूपेन्द्र यादव का दावा मजबूत हो सकता है क्योंकि अब भाजपा उत्तर प्रदेश के बाद बिहार पर भी फोकस करेगी और वहां के नेता को पार्टी की कमान देकर बिहार में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने की योजना बनाएगी।
नीतीश कुमार के सांसद मंत्रीमंडल में शामिल नहीं हुए हैं और यह माना जा रहा है कि भाजपा से कभी भी उनके संबंध विच्छेद हो सकते हैं। ऐसी हालत में भाजपा बिहार में अपने बलबूते पर चुनाव में जाएगी और बिहार का राष्ट्रीय अध्यक्ष उसमें काफी मददगार साबित हो सकता है।
इतना ही नहीं, बिहार से नित्यानंद राय के मंत्री बनने से बिहार प्रदेश भाजपा, महेन्द्र नाथ पांडे के मंत्री बनने से उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष पद के लिये भी नये चेहरे की तलाश करनी होगी क्योंकि ये दोनों संबंधित राज्यों के पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं ।