12वें वर्ल्ड कप का पहला सेमीफाइनल इंडिया और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया। बारिश की वजह से रिजर्व डे पर खेला गया मैच भारत की टीम इंडिया की हार के साथ खत्म हुआ। न्यूजीलैंड के 239 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए टीम इंडिया 49.3 ओवर में 221 रन ही बना पाई और ऑल आउट हो गई।
अंकतालिका में टॉप पर रही टीम इंडिया सेमीफाइनल में कुछ गलतियों की वजह से हार गई, ऐसे में आईए जानते हैं उन गलतियों के बारे में।
टॉप ऑर्डर लड़खड़ाया:
पूरे टूर्नामेंट में 1300 से अधिक रन बनाने वाली भारतीय तिकड़ी (रोहित शर्मा, केएल राहुल और विराट कोहली) का बल्ला नहीं चला और सेमीफाइनल में तीनों मिलकर सिर्फ 3 रन ही बना पाए और टीम इंडिया के शुरुआती तीन विकेट मात्र 5 रन पर ही गिर गए।
मध्यक्रम फिर से फेल:
वर्ल्ड कप में शुरू से लेकर आखिरी तक टीम इंडिया का मध्यक्रम हर बार फेल हुआ और कागज पर दिखने वाले बड़े नामों ने पूरी तरह से निराश किया। ऋषभ पंत, हार्दिक पांड्या, दिनेश कार्तिक और महेंद्र सिंह धोनी समेत सभी धुरंधर मुश्किल में फंसी टीम को उबारने में नाकाम रहे।
चौथे नंबर पर लगातार प्रयोग:
वर्ल्ड कप शुरू होने के पहले से ही चौथे स्थान की बल्लेबाजी टीम इंडिया और मैनेजमेंट के लिए सिरदर्द बनी रही। उसके बाद इस स्थान के लिए विजय शंकर को थ्री-डी का दर्जा देकर वर्ल्ड कप में भेजा गया। लेकिन शुरू में लगातार मैच खेलकर भी विजय बल्ले से कुछ नहीं कर पाए और फेल साबित हुए।
विजय के बाद ऋषभ पंत को चौथे नंबर पर उतारा गया लेकिन वो भी कोई बड़ी पारी खेलने में नाकाम रहे और जिम्मेदारी लेने की जगह अपना विकेट फेंकते रहे।
निचले क्रम पर धोनी की बल्लेबाजी:
टीम इंडिया के 24 रन पर 4 विकेट गिरने के बाद सभी को उम्मीद थी कि टीम के सबसे अनुभवी खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी खुद बल्लेबाजी करने आएंगे और टीम को संभालेंगे लेकिन धोनी की जगह दिनेश कार्तिक और हार्दिक पंडया को ऊपर बल्लेबाजी के लिए भेजा गया और खुद धोनी सातवें स्थान पर बल्लेबाजी करने आए।
धोनी की धीमी पारी:
टीम के 92 रन पर छह विकेट गिरने के बाद धोनी ने जडेजा के साथ मिलकर पारी को आगे बढ़ाया और सातवें विकेट के लिए 116 रनों की साझेदारी की। एक तरफ जहां जडेजा तेजी से रन बनाते हुए रन और गेंद का अंतर कम कर रहे थे वहीं धोनी धीमी पारी खेलते नजर आ रहे थे।
एक वक्त था जब टीम लगभग जीत की कगार पर थी और उसे 30 गेंदों में 52 रन बनाने थे और उसके हाथ में 5 विकेट थे। लेकिन उस वक्त धोनी एक-दो रन बनाने की कोशिश कर रहे थे और जडेजा को स्ट्राइक नहीं दे पा रहे थे, उसका असर यह हुआ कि अच्छी बल्लेबाजी कर रहे जडेजा तेजी से रन बनाने के चक्कर में विलियमसन को कैच दे बैठे। उसकी थोड़ी देर बाद खुद धोनी भी 72 गेंदों में 50 रन बनाकर रनआउट हो गए।