Tuesday, November 4, 2025
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बिलासपुर: जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता नायडू ने दिया बचकाना जवाब…नहर रोड की चौड़ाई और इस्तेमाल के बारे में उन्हें पता ही नहीं…मामला फिल कोल बेनिफिकेशन के कोयला परिवहन का…

बिलासपुर। फिल कोल बेनिफिकेशन के अहसान तले जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अफसर इस कदर दबे हुए हैं कि 20 साल तक नौकरी करने के बाद भी उन्हें यह नहीं पता कि नहर रोड की चौड़ाई कितनी होनी चाहिए और उसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा सकता है या नहीं। दरअसल, यह चौंकाने वाला जवाब दिया है जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता आरएस नायडू ने।

घुटकू में संचालित फिल कोल बेनिफिकेशन प्राइवेट लिमिटेड (कोलवाशरी) प्रबंधन द्वारा नियम विरुद्ध कोयले का परिवहन के मामले ने तूल पकड़ लिया है। कोलवाशरी प्रबंधन ने पहले रेलवे को धोखे में रखकर उसकी सड़क का इस्तेमाल किया। दरअसल, रेलवे ने कोलवाशरी प्रबंधन को अपनी सड़क का उपयोग कंपनी प्रबंधन और परिवारवालों को करने के लिए दिया था। व्यावसायिक इस्तेमाल प्रतिबंधित था। इसके बाद भी कोलवाशरी प्रबंधन ने रेलवे की सड़क से कोयले का परिवहन किया। इसकी जानकारी होने पर रेलवे ने अनुबंध ही निरस्त कर दिया। इसके बाद कोलवाशरी प्रबंधन ने जिला प्रशासन से सांठगांठ करते हुए खुद के सीएसआर मद से नहर रोड का निर्माण करा दिया। यह सड़क लोखंडी फाटक के पास से कोलवाशरी तक ही बनाई गई है, आगे की सड़क मिट्‌टी की है। सीएसआर मद से खुद के लिए बनाई गई सड़क को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।

फिलहाल, जल संसाधन विभाग की भूमिका भी इस सड़क के उपयोग को लेकर संदिग्ध है। दरअसल, एप्रोच केनाल की चौड़ाई सिर्फ 4 फीट है, जबकि सड़क 30 फीट से अधिक बना दी गई है। इसके अलावा दूसरी केनाल की सड़क की बात करें तो उसकी चौड़ाई 12 फीट से अधिक नहीं है। इस रोड पर भारी वाहनों को गुजरने से रोकने के लिए जगह-जगह पर लोहे के गर्डर लगाए गए हैं। उसकी ऊंचाई इतनी कम रखी गई है कि उसमें से केवल ट्रैक्टर और कार ही गुजर सकते हैं, लेकिन लोखंडी से कोलवाशरी तक बनाई गई सड़क की बात करें तो पूरे रास्ते में किसी भी जगह पर भारी वाहनों का प्रवेश रोकने के लिए लोहे का गर्डर नहीं लगाया गया है। इससे साफ जाहिर है कि इस रोड का व्यावसायिक उपयोग जल संसाधन विभाग की सहमति से किया जा रहा है।

इस मामले में पूछताछ करने पर जल संसाधन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी अधीक्षण अभियंता आरएस नायडू बचकाना जवाब देते हैं। उनका कहना है कि लोखंडी से कोलवाशरी तक बनाई गई सड़क पर व्यावसायिक उपयोग किया जा सकता है या नहीं, यह तो नियम देखकर ही बता पाऊंगा। नहर रोड की चौड़ाई के बारे में पूछताछ करने पर फिर से उन्होंने नियम देखने का हवाला दे दिया। अब सवाल यह उठता है कि इतने बड़े पद पर बैठे अफसर को नहर रोड की चौड़ाई और इस्तेमाल के बारे में क्या पता नहीं होगा। आखिर वे ऐसा क्यों बोल रहे हैं, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

नायडू के कार्यकाल में बनाई गई है सड़क

बताते चलें कि तत्कालीन कलेक्टर पी दयानंद ने सत्र 2018 में कोलवाशरी प्रबंधन को इस सड़क का निर्माण सीएसआर मद से करने की अनुमति दी थी। उस समय कोटा जल संसाधन संभाग में ईई के पद पर आरएस नायडू ही पदस्थ थे। उनके कार्यकाल में बनाई गई सड़क के बारे में पूछताछ करने पर उनका कहना था कि कई सौ किमी सड़क बनाई गई है। अब किस-किस को याद रखें।

नायडू बोले- पहले ईई से मिलिए

मीडिया ने जब नहर की चौड़ाई और इस्तेमाल के बारे में सवाल दागा तो अधीक्षण अभियंता नायडू ने कहा कि पहले आप लोग कोटा ईई से बात कीजिए। जब उन्हें बताया गया कि कोटा ईई एके तिवारी ने सवाल सुनने के बाद मोबाइल कॉल काट दिया और अब कॉल नहीं उठा रहे हैं। इस सवाल के जवाब में उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि इस मामले में उनसे बात करके बताता हूं, लेकिन कब तक… इसका जवाब उनके पास नहीं था।

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