बिलासपुर/कमलेश शर्मा/ दुराचार से गर्भवती हुई 11 वर्ष 10 माह की पीड़िता के अभिभावक द्वारा एमटीपी की अनुमति प्रदान करने के लिए पेश याचिका में मेडिकल रिपोर्ट आने पर शासन ने पीड़िता व् उसके बच्चे की सम्पूर्ण जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली है। अब सरकार आजीवन इन दोनों का खर्च वहन करेगी।
बालोद जिला निवासी 11 वर्ष 10 माह की पीड़िता दुराचार के बाद गर्भवती हो गई। इस बात की जानकारी होने पर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने के साथ ही पीड़िता के अभिभावक ने एमटीपी एक्ट 2971 के तहत 27 सप्ताह के ठहरे हुए गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी। 16 मार्च को जस्टिस पी सेम कोशी ने सुनवाई उपरान्त मेडिकल कालेज रायपुर के डीन को निर्देश देकर स्त्रीरोग विशेषज्ञ की टीम से प्रतिवेदन मांग था। विशेषज्ञ डॉ नलीनी मिश्रा एवं डॉ रुचि किशोर की टीम ने परीक्षण उपरान्त अपना अभिमत दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि एमटीपी एक्ट 1971 के तहत गर्भपात के लिए 20 सप्ताह का समय निर्धारित है, निर्धारित समय से बहुत अधिक होने के कारण गर्भ को जारी रखने या गर्भपात करने, दोनों स्थिति में पीड़िता की जान का जोखिम होने की आशंका है। इसके बाद भी कोर्ट के निर्देश व् अभिभावक की सहमति से गर्भपात कराया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कोर्ट में शासन की और से कहा कि शासन ने इस मामले को असाधारण माना है। और अब पीड़िता व् उसके बच्चे की गहन चिकित्सा सहित दोनों का सम्पूर्ण व्यय आजीवन शासन वहन करेगा। शासन ने मामले में पीड़िता के प्रति सह्रदयता दिखाई है।