तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का आज 44 वां दिन है। किसानों के इस शांत आंदोलन की ‘ताकत’ भी लगातार बढ़ती जा रही है। ठंड और बारिश की परवाह किए बिना हरियाणा, पंजाब, यूपी, राजस्थान समेत अन्य राज्यों से किसानों के जत्थे रसद के साथ लगातार धरनास्थल पर पहुंच रहे हैं। इस बीच नए कृषि कानूनों को लेकर शुक्रवार को सरकार और किसान संगठनों के बीच 8वें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। अब अगले दौर की बैठक 15 जनवरी को होगी।
सरकार के साथ आठवें दौर की विफल वार्ता के बाद किसान संगठन ने अपनी लड़ाई जारी रखने का ऐलान किया। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनन मोल्लाह ने कहा- तीखी बहस हुई। हमने कहा कि हम कानूनों की वापसी के अलावा और कुछ भी नहीं चाहते हैं। मोल्लाह ने आगे कहा- हम किसी अदालत में नहीं जाएंगे। या तो ये कानून वापस लिए जाएंगे या फिर हमारी लड़ाई जारी रहेगी। 26 जनवरी को योजना के अनुसार हमारी परेड होगी।
वहीं, बैठक के बाद किसान नेता ने आगे कहा, ‘फिर भी आपका फैसला है क्योंकि आप सरकार हैं इसलिए लोगों की बात शायद कम लगती है आपको। क्योंकि जिसके पास ताकत है उसकी बात ज्यादा होती है न। …आपका मूड जो लग रहा है उससे लगता है कि आप का मन निपटाने का नहीं है।’
बता दें कि आंदोलनकारी किसान 28 नवंबर से यूपी गेट पर डेरा डाले हुए हैं और 3 दिसंबर से NH-9 के गाजियाबाद-दिल्ली कैरिजवे को भी बंद कर दिया है। इसके मद्देनजर दिल्ली की सीमाओं पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सिंघु बॉर्डर पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया।