सर्वोच्च न्यायालय में मंगलवार को राजद्रोह केस पर सुनवाई हुई. केंद्र सरकार ने मामले पर सुनवाई स्थगित करने की अपील की, जबकि याचिकाकर्ता के वकील कपिल सिब्बल ने इसका विरोध किया. बहरहाल, शीर्ष अदालत ने देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार करने के लिए केंद्र सरकार को हिदायत देते हुए एक दिन की और मोहलत दे दी है. अदालत ने लंबित मामलों और भविष्य के मामलों को सरकार कैसे संभालेगी, इस पर रुख स्पष्ट करने के लिए केंद्र को कल यानी बुधवार सुबह तक का समय दिया है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने अदालत के समक्ष देशद्रोह मामले में अपना रुख बदलने पर सफाई दी है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राष्ट्रहित और देश की एकता अखंडता को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय कार्यपालिका ने यह नया फैसला लिया है। हालांकि इससे दंड का प्रावधान नहीं हटाया जाएगा. कोई नहीं कह सकता कि देश के विरुद्ध काम करने वाले को सजा ना दी जाए. सरकार इसमें और सुधार का प्रावधान कर रही है लिहाजा अदालत अभी सुनवाई टाल दे।
याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश कांग्रेस नेता और वकील कपिल सिब्बल ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार इसकी आड़ ले रही है, जबकि हमने तो IPC के प्रावधान 124A को ही चुनौती दी है. नया संशोधित कानून जो आएगा सो आएगा, हमने तो मौजूदा प्रावधान को चुनौती दी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कल तक अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा है।