सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajeev Gandhi) की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे एजी पेरारिवलन को बुधवार को रिहा करने का आदेश दिया. जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने पिछले नौ अप्रैल को उसकी जमानत याचिका मंजूरी की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पेरारिवलन की दया याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल और राष्ट्रपति के बीच फंसी है. पेरारिवलन ने दिसंबर 2015 में तमिलनाडु के राज्यपाल के समक्ष दया याचिका पेश की थी. गौरतलब है कि मामले की सुनवाई के बाद 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. पेरारिवलन करीब 30 साल जेल में रह चुका है.
राज्यपाल को दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार नहीं
तमिलनाडु सरकार ने सितंबर 2018 में पेरारिवलन की रिहाई की सिफारिश की थी, लेकिन राज्यपाल ने दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेज दी थी. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल को दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजने का अधिकार नहीं है. पीठ ने साथ ही यह भी कहा था कि पेराविलन 30 साल जेल में बिता चुका है और अदालत ने पहले भी 20 साल से अधिक की सजा भुगतने वाले उम्र कैदियों के पक्ष में फैसले सुनाए हैं. इस मामले में भी कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.
21 मई 1991 को राजीव गांधी की कर दी गई थी हत्या
केंद्र सरकार के वकील ने तब तर्क दिया था कि राष्ट्रपति निर्णय करेंगे कि राज्यपाल उन्हें दया याचिका भेज सकते हैं या नहीं. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि वह इस मामले में सुनवाई करेगा और राष्ट्रपति के फैसले का उसकी सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा. गौरतलब है कि राजीव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 को आत्मघाती हमले में की गई थी.