शिक्षा

कठिन परिश्रम, समर्पण व शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रमाण हैं आपकी उपलब्धियां: राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन… 59029 विद्यार्थियों को स्नातक, स्नातकोत्तर, डिप्लोमा उत्तीर्ण छात्रों को प्रदान की गई उपाधि…

Your achievements are proof of hard work, dedication and academic excellence: Governor Vishwa Bhushan Harichandan... Degrees were awarded to 59029 students who passed graduation, post graduation and diploma...

बिलासपुर। पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़, बिलासपुर का षष्ठम् दीक्षांत समारोह दिनांक 06 जुलाई, 2024 को पूर्वाह्न 10.30 बजे से विश्वविद्यालय परिसर में पूर्ण गरिमा एवं हर्षोल्लास से मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ के राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन जी ने किया। अति विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय जी रहे। दीक्षान्त समारोह वक्ता के रूप में सुरेश (भैया जी) जोशी व विशिष्ट अतिथि के रूप में केन्द्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू, उप मुख्यमंत्री अरूण साव, अमर अग्रवाल, धरमलाल कौशिक, धरमजीत सिंह, सुशांत शुक्ला, अटल श्रीवास्तव दिलीप लहरिया शामिल हुए। अतिथियों का दल समारोह स्थल पर निर्धारित समय पर पहुंचा तथा राज्यपाल की अगवानी समस्त अतिथियों के साथ कुलपति प्रोफेसर बंश गोपाल सिंह ने की।

षष्ठम् दीक्षांत समारोह की शोभायात्रा विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ प्रशासनिक भवन से आयोजन स्थल की ओर प्रस्थान की, जिसमें क्रमानुसार सर्वप्रथम कुलसचिव, विभिन्न अध्ययन मंडल के अध्यक्षगण, विद्यापरिषद के सदस्य, योजना मंडल के सदस्य, कार्य परिषद के सदस्य एवं कुलपति के बाद विशिष्ट अतिथिगण, मुख्यमंत्री, कुलाधिपति राज्यपाल विश्व भूषण हरिचंदन रहे।

कार्यक्रम का प्रारंभ पुलिस बैण्ड द्वारा प्रस्तुत राष्ट्रगान व राज्य गीत के साथ हुआ। तदुपरांत मंचस्थ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन तथा मां सरस्वती की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया गया। माननीय कुलपति महोदय ने समस्त मंचस्थ अतिथियों का पुष्पगुच्छ से स्वागत किया व स्मृति चिह्न भेंट किया।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे कुलाधिपति विश्वभूषण हरिचंदन जी, माननीय राज्यपाल छत्तीसगढ़ ने कहा कि मुझे छठवीं दीक्षांत समारोह में शामिल होते हुए बेहद खुशी हो रही है। उन्होंने स्वर्ण पदक एवं उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी और उपाधि प्राप्त करने वाले शोधार्थियों के परिवारजनों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि मैं आप सभी शोधार्थियों के परिवार की भी प्रसंशा करता हूं जिनके सहयोग त्याग एवं मार्गदर्शन में अपने इस यात्रा में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं।

राज्यपाल हरिचंदन ने कहा कि आपकी महत्वपूर्ण उपलब्धियां आपके कठिन परिश्रम, समर्पण, आपकी शैक्षणिक उत्कृष्टता का प्रमाण है। पंडित सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय 21 मार्च 2005 को स्थापित हुआ। पंडित सुंदरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ में जन जागरूकता एवं सामाजिक प्रगति लाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह विश्वविद्यालय पंडित सुंदरलाल शर्मा जी के सपनों को गढ़ने एवं साकार करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने उच्च शिक्षण गुणवत्ता बनाए रखने के लिए विश्वविद्यालय को नैक द्वारा प्रदान किए गये ए प्लस ग्रेड के लिए भी बधाई दी।

राज्यपाल ने कहा, आप सभी जानते हैं कि विकसित भारत, समृद्ध भारत की संकल्पना पर आधारित है। विकसित भारत संकल्पना के जरिए क्षेत्र के सभी नागरिकों को अपनी क्षमता के अनुसार विकास करने के अवसर प्रदान किए जाएंगे| यह विश्वविद्यालय जनजाति क्षेत्र में रहने वाले अति पिछड़े समुदायों तथा कॉविड-19 से प्रभावित लोगों को शिक्षा का अवसर प्रदान कर अपने सामाजिक सरोकारों के उद्देश्य को भी पूरा कर रहा है।

अति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित विष्णु देव साय जी, माननीय मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ ने 159 स्वर्ण पदक हासिल करने वाले 98 विद्यार्थियों को बधाई और उनके उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं भी दी| श्री साय ने कहा, मुझे यह जानकर बड़ी प्रसन्नता होती है कि हमारे छत्तीसगढ़ राज्य का एकमात्र यह मुक्त विश्वविद्यालय अपने अकादमिक और शैक्षणिक गतिविधियों के साथ नई ऊंचाइयों को छू रहा है| दूरस्थ अंचलों में बसे ऐसे शिक्षार्थियों के लिए जो किसी कारणवश उच्च शिक्षा से वंचित रह गए हैं या नौकरी पेशा वर्ग के ऐसे विद्यार्थी जो अपने भावि सपनों को साकार करना चाहते हैं उनके लिए यह विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का प्रमुख केंद्र है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि, मैं स्वयं राज्य के दूरस्थ क्षेत्र जशपुर का हूं इसलिए मैंने हमारे छत्तीसगढ़ के दूरस्थ अंचलों के लोगों की कठिनाइयों को बहुत नजदीक से देखा है. मैं दूरस्थ अंचलों में बसे हमारे राज्य के लोगों की कठिनाइयों को महसूस कर सकता हूं| मुझे खुशी है कि यह विश्वविद्यालय का ध्येय वाक्य उच्च शिक्षा आपके द्वार के अनुरूप उच्च शिक्षा के लक्ष्य को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।

उन्होंने कहा, शिक्षा का मूल उद्देश्य सर्वे भवंतु सुखिनः के ध्येय वाक्य के साथ एक दूसरे की मदद करना है। हमारे राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू किए जाने से युवाओं में तार्किक क्षमता के संवर्धन के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास होगा| इस विश्वविद्यालय को यूजीसी के 235 विश्वविद्यालय की उस सूची में शामिल किया गया है जो संयुक्त अथवा दोहरी डिग्री दे सकता है। अब यह विश्वविद्यालय विदेशी विश्वविद्यालय के साथ मिलकर संयुक्त डिग्री के लिए कार्यक्रम शुरू कर सकता है यह खुशी की बात है कि हमारे छत्तीसगढ़ के विद्यार्थी विदेशी विश्वविद्यालय से जुड़ सकेंगे।

विश्वविद्यालय परिवार की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, मेरा सुझाव है कि विश्व के लोगों का छत्तीसगढ़ की भाषा और संस्कृति से परिचय कराया जाए, इस दिशा में छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम की शुरुआत इस विश्वविद्यालय ने की है यह सराहनीय कदम है| इस विश्वविद्यालय का अध्ययन अध्यापन के साथ यह भी दायित्व बनता है कि छत्तीसगढ़ अंचल के भाषा संस्कृति को समृद्ध करने के लिए निरंतर प्रयास करते रहे| प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर मुख्यमंत्री साय ने समारोह में उपस्थित जनों से एक पेड़ माँ के नाम अभियान से जुड़ने की अपील की और कहा कि अपने आसपास सुलभ जगह देखकर आप सभी भी एक पेड़ माँ के नाम जरुर लगाएं और उसकी देखरेख करें|

दीक्षांत वक्ता सुरेश (भैया जी) जोशी ने सभी स्वर्ण पदक व उपाधि प्राप्त करने वाले को अंतःकरण से बधाई देते हुए कहा कि यहां बैठे हुए हम सभी बड़े भाग्यशाली हैं। हमारे भाग्यशाली होने का एक तो कारण है कि हम सबको भारत में जन्म लेने का अवसर मिला है। हमारी पुरानी पीढ़ी ने गुलामी का कालखंड देखा है लेकिन हमें स्वतंत्र देश के स्वतंत्र नागरिक कहलाने का अवसर मिला। यह हमारे लिए गर्व का विषय है। पूरे विश्व में भारत का जो सम्मान बढ़ रहा है उसके साक्षी हम बन रहे हैं और विगत कुछ वर्षों से एक सफल नेतृत्व के संचालन में देश विश्व में सम्मान प्राप्त कर रहा है।

उन्होंने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हम सामर्थ बढ़ाएंगे, शिक्षा प्राप्त करते रहेंगे, ज्ञानवर्धन करते रहेंगे और शिक्षा और ज्ञान के साथ-साथ संस्कारों का भी वरदान हम सबके जीवन में आता रहे, अन्यथा आज हम देख रहे हैं कि चिकित्सक बनते हैं, एडवोकेट बनते हैं, वैज्ञानिक बनते हैं वही मनुष्य बनने की गति कम हो जाती है। ये सब ज्ञान हमने प्राप्त किया वो अपने निजी स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि जिस समाज से हमको मिला है उसे समाज को लौटाने का भाव हम सब के मन के अंदर होना चाहिए।

शिक्षा के माध्यम से संस्कारों का स्मरण करते हुए इस देश के लिए जिस प्रकार की मनुष्य शक्ति चाहिए ऐसा बनने का हम सब प्रयास करें। उन्होंने कहा कि आप सबको भारत को समझना भी है भारत के बनना भी है और भारत को बनाना भी है। भारत बनाने की दिशा में आज देश चल पड़ा है। इसलिए हम सब लोग उस भारत को गतिमान करने का संकल्प लेकर यहां से जाएं।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित तोखन साहू जी, केंद्रीय राज्य मंत्री भारत सरकार ने अपना उद्बोधन देते हुए स्वर्ण पदक, उपाधि प्राप्तकर्ताओं एवं स्वर्ण पदक पाने वाले विद्यार्थियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी| उन्होंने कहा, व्यक्ति के लिए शिक्षा एवं संस्कार महत्वपूर्ण आधार स्तंभ है शिक्षा जहां मनुष्य को अपने कार्य क्षेत्र से संबंधित कौशल प्रदान करता है, संस्कार मनुष्य को समाज में श्रेष्ठ नागरिक बनने के लिए प्रेरित करता है| मानव जीवन में शिक्षा महत्वपूर्ण स्थान रखता है शिक्षित व्यक्ति अपना समुचित विकास करते हुए समाज और राष्ट्रके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित अरुण साव जी, उप मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़ शासन ने भी दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। साव ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बधाई दी एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा, विश्वविद्यालय परिवार द्वारा पूरे मनोयोग से विद्यार्थियों को शिक्षा प्रदान किया जा रहा है।

रामचरितमानस के पाठ्यक्रम संचालित कर यहां पर आध्यात्म से जुड़ी शिक्षा दी जा रही। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के जरिए पाठ्यक्रम में आमूल चूल परिवर्तन किया गया है और विषयों के बंधन से मुक्त किया गया है। कि योग्यता, गुणवत्ता एवं आवश्यकता पर आधारित विषयों को समाहित कर पाठ्यक्रम को वर्तमान उद्देश्यों के अनुरूप बनाया गया है। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर बंश गोपाल सिंह ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम उन सभी विद्यार्थियों को बधाई देता हूँ जिन्होंने आज विद्यावाचस्पति की उपाधि प्राप्त की अथवा सर्वोच्च-ग्रेड के साथ स्वर्ण पदक प्राप्त किया है। मैं उन सभी विद्यार्थियों को भी बधाई देता हूँ जिन्होंने आज विभिन्न पाठ्यक्रमों में उपाधि प्राप्त की हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि विश्वविद्यालय की स्थापना जिन उद्देश्यों के लिए की गई, उन उद्देश्यों को साकार करने के लिए विश्वविद्यालय लगातार प्रयासरत है; एक सीमा तक हम सफल भी रहे हैं।

उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा-नीति 2020 के अनुपालन में हमने कोर्स डिजाईन कर लिया है, आने वाले सत्र जनवरी-दिसंबर 2025 से नई शिक्षा नीति के अनुरूप पाठ्यक्रम संचालित होने लगेंगे। इन पाठ्यक्रमों में परंपरागत ज्ञान, कौशल तथा वर्तमान ज्ञान-विज्ञान की आधुनिक शिक्षा-पद्धितियों का समावेश किया जाएगा। हमारे यहाँ संचालित पाठ्यक्रमों में क्रेडिट सिस्टम लागू है।
विश्वविद्यालय में प्रवेश आवेदन से लेकर परिणाम की घोषणा तक सभी में ऑनलाईन प्रक्रिया अपनाई जाती है। विद्यार्थियों के लिए ऑनलाईन शिकायत निवारण एवं फीडबैक तंत्र विकसित है।

पिछले चार-पाँच वर्षों में विश्वविद्यालय के अधोसंरचना विकास के अधिकांश निर्माण-कार्य पूर्ण हो चुके हैं, NCTE के मापदण्डों के अनुरूप शिक्षा-भवन तथा विश्वविद्यालय सभागार का निर्माण कार्य प्रक्रियाधीन है। निर्माणाधीन RCC रोड का निर्माण कार्य हो चुका है। गरीबी रेखा के नीचे वाले विद्यार्थी जिन्हें कोई छात्रवृत्ति नहीं मिल रही है। उनके लिए विश्वविद्यालय में शुल्क मुक्ति / वापसी हेतु नियम है। समारोह के दौरान समाज सेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए राम प्रताप सिंह जी व सुश्री शुलभा देशपांडे जी को मानद उपाधि से विभूषित किया गया।

षष्ठम् दीक्षांत समारोह में सत्र जनवरी- दिसम्बर 2020, सत्र जुलाई-जून 2021, सत्र जनवरी- दिसम्बर 2021, सत्र जुलाई जून 2022, सत्र जनवरी- दिसम्बर 2022, सत्र जुलाई- जून 2023 के विभिन्न संकायों में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले कुल 98 विद्यार्थियों को 159 स्वर्ण पदक दिए गए, जिनमें 13 दानदाताओं द्वारा प्रदत्त स्मृति स्वर्ण पदक भी शामिल है। एक विद्यार्थी डेमेश्वरी भारद्वाज को वर्ष 2021 के लिए 04 गोल्ड मेडल तथा इनमें 15 विद्यार्थियों को 03-03 गोल्ड मेडल, 27 विद्यार्थियों को 02-02 गोल्ड मेडल शेष को 01-01 गोल्ड मेडल प्रदान किया गया । इसके साथ ही 02 मानद एवं 14 पी-एच.डी. (विद्या वाचस्पति) उपाधि कुल 16 उपाधि भी प्रदान की गई।

विश्वविद्यालय के परीक्षा सत्र जनवरी- दिसम्बर 2020 में 2,635 विद्यार्थी सत्र जुलाई- जून 2021 में 13,226 विद्यार्थी, सत्र जनवरी-दिसम्बर 2021 में 3,290 विद्यार्थी, सत्र जुलाई- जून 2022 में 24,950 विद्यार्थी, सत्र जनवरी- दिसम्बर 2022 में 4,622 विद्यार्थी, सत्र जुलाई- जून 2023 में 10,306 विद्यार्थी कुल 59,029 विद्यार्थियों ने विभिन्न संकायों में स्नातक, स्नातकोत्तर, पी.जी. पत्रोपाधि, डिप्लोमा पत्रोपाधि तथा सार्टिफिकेट परीक्षा उत्तीर्ण किए हैं, उन्हें उपाधि दिए जाने की घोषणा की गई।

कार्यक्रम का संचालन डॉ. रूपेंद्र राव व डॉ. अनीता सिंह ने एवं धन्यवाद ज्ञापन विश्वविद्यालय के कुलसचिव भुवन सिंह राज ने किया। कार्यक्रम के अंत में राष्ट्रगान के उपरांत दीक्षांत समारोह शोभा यात्रा आयोजन स्थल से सिरपुर सभागार पर वापस हुई। इसके पश्चात कुलसचिव भुवन सिंह राज ने आभार व्यक्त कर दीक्षांत समारोह के समापन की घोषणा की। पंडित सुंदरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय के षष्ठम् दीक्षांत समारोह में विभिन्न गणमान्य जनप्रतिनिधि, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, गणमान्य नागरिक, अभिभावकगण, विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्षगण, शिक्षकगण, अधिकारीगण, कर्माचारीगण एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित रहे।

error: Content is protected !!