बिलासपुर

आवारा कुत्तों के खिलाफ नगर निगम का अभियान: 35 कुत्तों का रेस्क्यू, एक खूंखार कुत्ते ने दो दर्जन से अधिक लोगों को बनाया शिकार…

Municipal Corporation's campaign against stray dogs: 35 dogs rescued, a ferocious dog attacked more than two dozen people...

बिलासपुर। नगर निगम ने नागरिकों के लिए खतरनाक हो चुके आवारा कुत्तों के खिलाफ एक बड़े अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के तहत देवरीखुर्द और तोरवा क्षेत्रों से कुल 35 आवारा कुत्तों को पकड़कर उनका रेस्क्यू किया गया। यह कदम तब उठाया गया जब देवरीखुर्द क्षेत्र में शुक्रवार को एक आवारा कुत्ते ने लगभग दो दर्जन से अधिक लोगों को अपना शिकार बना लिया, जिसके कारण कई लोगों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

शहर के नागरिकों द्वारा लगातार मिल रही शिकायतों और बढ़ते खतरों को देखते हुए नगर निगम ने इस दिशा में त्वरित कार्रवाई की। नगर निगम के कमिश्नर अमित कुमार के निर्देश पर निगम के स्वास्थ्य अमले ने तुरंत देवरीखुर्द और तोरवा क्षेत्रों में अभियान चलाकर आवारा कुत्तों को पकड़ने का कार्य शुरू किया। पकड़े गए सभी कुत्तों को गोकूलधाम स्थित निगम के चिकित्सालय में ले जाया गया, जहां उनके टीकाकरण और आवश्यक चिकित्सा उपचार की व्यवस्था की गई।

आवारा कुत्तों का बढ़ता खतरा: 

शुक्रवार की घटना के बाद स्थानीय नागरिकों में भय का माहौल था। आवारा कुत्तों के हमलों से घायल होने वाले लोगों की संख्या बढ़ने से क्षेत्र में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई थी। यह घटना आवारा कुत्तों की समस्या को और गंभीर रूप से सामने लाती है। नगर निगम द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई थी, जिसके कारण आवारा कुत्तों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई।

समाधान: नसबंदी और टीकाकरण अभियान

नगर निगम ने समस्या को हल करने के लिए 2022 से लेकर जुलाई 2024 तक लगभग 13,864 कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण किया है। यह कदम न केवल कुत्तों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि कुत्तों के स्वास्थ्य और उनके आक्रामक व्यवहार को भी काबू में रखने के लिए आवश्यक है।

नगर निगम का यह अभियान इस बात को सुनिश्चित करता है कि शहर में आवारा कुत्तों की समस्या को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सके। आवारा कुत्तों का रेस्क्यू और उनके इलाज से शहर में सुरक्षा और स्वच्छता बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।

आगे भी ऐसे अभियानों की आवश्यकता है, ताकि शहर के नागरिकों को आवारा कुत्तों के खतरे से बचाया जा सके और कुत्तों को भी उचित देखभाल और चिकित्सा सहायता मिल सके।

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