रायपुर। छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध चिकित्सक और कांग्रेस नेता डॉक्टर राकेश गुप्ता, जो तेज़ आवाज़ वाले लाउडस्पीकर और डीजे के खिलाफ वर्षों से मुहिम चला रहे हैं, को हाल ही में जान से मारने की धमकी मिली है। डॉक्टर गुप्ता, जो इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और कांग्रेस के चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी हैं, ने रायपुर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस धमकी की शिकायत की है।
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ वर्षों से तेज़ ध्वनि वाले डीजे और लाउडस्पीकर के उपयोग पर कड़ा विरोध हो रहा है। यह अभियान रायपुर के नागरिकों द्वारा शुरू किया गया था, जिनमें डॉक्टर राकेश गुप्ता प्रमुख रूप से शामिल हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में एक याचिका भी दायर की थी। याचिका के परिणामस्वरूप, हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। राज्य सरकार ने भी इस संबंध में सभी जिलों के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों को कार्रवाई करने के लिए निर्देश जारी किए थे।
हाल ही में, एक डीजे संचालक ने सोशल मीडिया पर डॉक्टर राकेश गुप्ता की तस्वीर पोस्ट कर उन्हें जान से मारने की धमकी दी। इस धमकी में दीपक सिंह नामक व्यक्ति ने लिखा कि डॉक्टर गुप्ता डीजे और धूमाल पर बैन लगाने में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं, और अब उन्हें अपनी जान का खतरा है। इस धमकी के बाद, डॉक्टर गुप्ता ने रायपुर एसपी को सुरक्षा की मांग करते हुए कार्रवाई की मांग की है।
तेज़ आवाज़ वाले डीजे से होने वाले नुकसान के कई मामले सामने आए हैं। हाल ही में दो घटनाओं में एक व्यक्ति की ब्रेन हेमरेज से मौत हो गई और दूसरे ने आत्महत्या कर ली। बलरामपुर जिले के सनावल निवासी संजय जायसवाल, जो डीजे के पास खड़े थे, उनके सिर की नस फट गई और उन्हें गंभीर ब्रेन हेमरेज हुआ। उन्हें तुरंत रायपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया। दूसरी घटना में, दुर्ग जिले के हथखोज निवासी धन्नू लाल साहू ने गणेश पंडाल में बज रहे तेज़ आवाज़ वाले डीजे से परेशान होकर आत्महत्या कर ली। धन्नू ने कई बार डीजे की आवाज़ कम करने का निवेदन किया था, लेकिन उनकी बात को नजरअंदाज कर दिया गया।
इन घटनाओं ने राज्य में डीजे और लाउडस्पीकर के शोर को नियंत्रित करने की आवश्यकता को और भी स्पष्ट कर दिया है। भले ही हाईकोर्ट और राज्य सरकार ने सख्त कार्रवाई के आदेश दिए हों, लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण डीजे संचालक अभी भी नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं और नागरिकों की मांग है कि ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।