छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने बिगड़ती कानून व्यवस्था और हाल ही में कवर्धा में पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के विरोध में 21 सितंबर को प्रदेशव्यापी बंद का आह्वान किया है। कांग्रेस ने कवर्धा निवासी प्रशांत साहू की हत्या की निष्पक्ष जांच और राज्य में बढ़ती अपराधिक घटनाओं के खिलाफ इस बंद को एक जनआंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने प्रदेश की जनता से आग्रह किया है कि वे इस बंद को समर्थन दें और एक दिन के लिए अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान बंद रखें।
कांग्रेस का यह आरोप है कि राज्य की कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है और अपराध की घटनाओं में बढ़ोतरी हो रही है। दीपक बैज के अनुसार, हर दिन हत्या, लूट, बलात्कार जैसी गंभीर घटनाएं हो रही हैं, जिससे प्रदेश में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफलता दिखाई है और कांग्रेस को मजबूरन बंद का सहारा लेना पड़ा है। उनका मानना है कि इस बंद से जनता की आवाज को सरकार तक पहुँचाने में मदद मिलेगी।
हालांकि, छत्तीसगढ़ चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इस बंद का समर्थन करने से इनकार कर दिया है। चेम्बर ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि इतने कम समय में बंद का समर्थन करना उनके लिए संभव नहीं है। 20 सितंबर को कांग्रेस की ओर से बंद के समर्थन के लिए पत्र मिलने के बावजूद चेम्बर ने कहा कि व्यापारी वर्ग के हितों की रक्षा और आर्थिक नुकसान को देखते हुए वे इस बंद का समर्थन नहीं कर सकते। चेम्बर के पदाधिकारियों अमर पारवानी, अजय भसीन, उत्तम गोलछा, और राजेन्द्र जग्गी ने बताया कि बंद से छोटे व्यापारी, फल-सब्जी विक्रेता, दूध विक्रेता और अन्य असंगठित क्षेत्रों से जुड़े लोग काफी आर्थिक नुकसान झेल सकते हैं।
चेम्बर ने यह भी कहा कि इस प्रकार के निर्णय कार्यकारिणी की बैठक के बाद लिए जाते हैं और इतनी कम समयावधि में बैठक बुलाना संभव नहीं था। इसके अलावा, उन्होंने बिना व्यापारिक संघों की बैठक के इस बंद का समर्थन न करने की अपनी स्थिति स्पष्ट की।
कांग्रेस के इस बंद को लेकर जनता और व्यापारी वर्ग में मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। जहां कांग्रेस समर्थक इसे एक जरूरी कदम बता रहे हैं, वहीं व्यापारी वर्ग और छोटे व्यवसायी इसके आर्थिक प्रभावों को लेकर चिंतित हैं। चेम्बर के समर्थन के बिना यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बंद का प्रदेश में कितना व्यापक प्रभाव पड़ता है।
कांग्रेस का कहना है कि यह बंद कानून व्यवस्था को सुधारने और सरकार को जवाबदेही के लिए मजबूर करने का एक आवश्यक कदम है। जबकि चेम्बर और कई व्यापारी संघों का मानना है कि ऐसे अचानक बंद से आर्थिक गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
इस बीच, प्रदेश की जनता बंद के प्रति अपने दृष्टिकोण में विभाजित दिखाई दे रही है। कुछ लोग कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित हैं और कांग्रेस के इस कदम को समर्थन देने के लिए तैयार हैं, जबकि कई अन्य लोग इसे आर्थिक नुकसान का कारण मानते हुए विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस के आह्वान पर छत्तीसगढ़ में 21 सितंबर को होने वाले बंद को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट है। चेम्बर ऑफ कॉमर्स के समर्थन न देने के फैसले के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि बंद का वास्तविक प्रभाव क्या होगा। प्रदेश की कानून व्यवस्था के मुद्दे पर जनता के बीच असंतोष स्पष्ट है, लेकिन बंद के आह्वान के साथ-साथ उसके आर्थिक पहलुओं को लेकर भी चिंताएं हैं।