बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के जंगलों में हाल के वर्षों में बिजली करंट से हाथियों की मौत के कई मामले सामने आए हैं, जिससे वन्यजीव संरक्षण को लेकर गंभीर चिंताएँ उठी हैं। इसी मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है। कोर्ट ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वन और बिजली विभाग को संयुक्त रूप से काम करने का आदेश दिया है, जिससे हाथियों की मौत के मामलों को रोका जा सके।
जनहित याचिका और केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स
यह मामला सबसे पहले 2018 और फिर 2021 में छत्तीसगढ़ के समाजसेवी नितिन सिंघवी द्वारा जनहित याचिका के रूप में हाईकोर्ट के समक्ष लाया गया। याचिका में जंगलों में बिजली के करंट से हाथियों की लगातार हो रही मौतों पर चिंता जताई गई थी। इसके बाद कोर्ट ने गंभीरता से इस मामले की सुनवाई की और वन्यजीव संरक्षण को प्राथमिकता देते हुए आदेश दिए।
हाईकोर्ट ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स का पालन करने का निर्देश दिया है। इन गाइडलाइन्स के अनुसार, जंगली क्षेत्रों में बिजली की तारों को कम से कम 20 फीट की ऊंचाई पर लगाना या अंडरग्राउंड केबल बिछाने का प्रावधान है, ताकि वन्यजीव करंट के संपर्क में न आ सकें।
वन और बिजली विभाग की संयुक्त जिम्मेदारी
बिलासपुर हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु शामिल हैं, ने इस मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने वन विभाग और बिजली विभाग को निर्देश दिया है कि वे हाथियों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए एक संयुक्त कार्य योजना तैयार करें। यह सुनिश्चित किया जाए कि बिजली की तारों की ऊँचाई और केबलों का बिछाना केंद्र सरकार की गाइडलाइन्स के अनुसार हो।
इसके अलावा, वन विभाग को जंगलों में हाथियों की आवाजाही पर भी निगरानी रखने का आदेश दिया गया है, ताकि ऐसी जगहों पर बिजली के तारों की स्थिति को समय-समय पर जांचा जा सके और जरूरी कदम उठाए जा सकें।
वन्यजीव संरक्षण के प्रति एक महत्वपूर्ण कदम
यह निर्णय न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि पूरे देश के वन्यजीव संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ में हाथियों का एक बड़ा समूह निवास करता है, और उनके संरक्षण के लिए इस प्रकार की योजनाओं का लागू होना बेहद आवश्यक है। बिजली करंट से हाथियों की मौतें सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी वन्यजीवों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुकी हैं।
इस आदेश से उम्मीद है कि न केवल छत्तीसगढ़, बल्कि अन्य राज्यों में भी बिजली विभाग और वन विभाग मिलकर वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे।