बिलासपुर। भूमि विवादों और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन कब्जाने के एक गंभीर मामले में बिलासपुर पुलिस ने दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सुरेश मिश्रा और हैरी जोसेफ नामक इन आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने मिलकर सरकारी और निजी भूमि पर कूटरचित दस्तावेजों के जरिए अवैध रूप से कब्जा कर लिया था। इस मामले में दो साल पहले ही एक मामला दर्ज किया गया था, लेकिन मुख्य आरोपी फरार थे। सरकंडा पुलिस की तत्परता से इन आरोपियों को आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया है।
यह मामला वर्ष 2022 में ग्राम मोपका, चिल्हाटी और लगरा की भूमि से संबंधित है, जहां आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी और निजी ज़मीनों पर अवैध कब्जा किया। शिकायतकर्ता प्रकाश सिंह ने इस धोखाधड़ी की सूचना पुलिस को दी थी। जांच में पाया गया कि खसरा नंबर 1859/1 की भूमि पर आरोपियों ने पंजीयन कार्यालय के मूल अभिलेखों में कूटरचना कर भूमि की खरीदी-बिक्री की थी। इस पूरी प्रक्रिया में पंजीयन और तहसील कार्यालय के कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई थी।
इस मामले में पहले ही एक आरोपी अमलदास विश्वकर्मा को गिरफ्तार किया गया था, जिसने फर्जी तरीके से उक्त भूमि अपने नाम दर्ज कराई थी। बाद में उसने सुरेश मिश्रा को पावर ऑफ अटॉर्नी दी, जिसके आधार पर मिश्रा ने अपने पुत्र विनीत मिश्रा और हैरी जोसेफ के नाम पर जमीन की बिक्री की रजिस्ट्री कराई। इस धोखाधड़ी की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धारा 173(8) के तहत विवेचना जारी रखी थी।
बिलासपुर पुलिस के निर्देशानुसार, सरकंडा थाना प्रभारी निरीक्षक तोपसिंह नवरंग के नेतृत्व में एक विशेष टीम गठित की गई, जिसने आरोपी सुरेश मिश्रा और हैरी जोसेफ को गिरफ्तार किया। दोनों आरोपियों से पूछताछ के दौरान उन्होंने इस फर्जीवाड़े को स्वीकार किया। इसके बाद उन्हें न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया।
बिलासपुर पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया है कि ऐसे धोखाधड़ी के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस प्रकरण से यह संदेश दिया गया है कि जमीनों से जुड़े धोखाधड़ी के मामलों में संलिप्त अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा, और वे जल्द ही कानून की गिरफ्त में होंगे।