बिलासपुर के एनटीपीसी सीपत प्लांट से राखड़ परिवहन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आ रहा है। आरोप है कि एनटीपीसी अधिकारी और ट्रांसपोर्टर्स की मिलीभगत से ओवरलोड ट्रकों का संचालन किया जा रहा है, जिससे न केवल राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि जनता को भी सड़कों की खराब हालत और हादसों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन सीपत (आरटीडब्ल्यूए) इस मुद्दे पर पिछले कई महीनों से आंदोलन कर रही है और प्रशासन द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
ओवरलोडिंग का खेल और करोड़ों का भ्रष्टाचार
एनटीपीसी सीपत प्लांट से रोजाना निकलने वाले लगभग 600 ट्रक ओवरलोडेड होते हैं। ये ट्रक 55 टन की सीमा के बजाय 75-80 टन राखड़ ले जाते हैं, जिसके लिए ट्रकों की बॉडी को अवैध रूप से बढ़ाया गया है। इस ओवरलोडिंग से ट्रांसपोर्टर्स एनटीपीसी से फर्जी बिलों के जरिए अतिरिक्त पैसा वसूल रहे हैं। एनटीपीसी अधिकारियों पर भी मिलीभगत के आरोप हैं, जो जानते हुए भी इन बिलों को मंजूरी दे रहे हैं।
क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष शत्रुहन लास्कर के अनुसार, इस गोरखधंधे में शामिल ट्रांसपोर्ट कंपनियां अवैध रूप से अपना मुनाफा बढ़ा रही हैं और एनटीपीसी के अधिकारी इस खेल में बराबर के भागीदार हैं। टेंडर की शर्तों के मुताबिक, ट्रकों को अंडरलोड होना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद ओवरलोड ट्रकों के बिल स्वीकृत किए जा रहे हैं।
प्रशासन की निष्क्रियता और बढ़ता आंदोलन
एसोसिएशन का कहना है कि वे पिछले दो महीनों से इस मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। सोमवार को संगठन ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा, जिसमें ओवरलोड ट्रकों पर कार्रवाई और दोषी ट्रांसपोर्टरों के लाइसेंस रद्द करने की मांग की गई। अगर प्रशासन जल्द कार्रवाई नहीं करता, तो संगठन ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
आरटीओ की भूमिका और भ्रष्टाचार
ओवरलोड ट्रकों के इस खेल में आरटीओ (क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय) की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। एसोसिएशन का आरोप है कि आरटीओ अधिकारी हर ओवरलोड ट्रक से प्रतिमाह 20 हजार रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं, जिसके चलते ओवरलोडिंग पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। आरटीओ का संरक्षण मिलने से ट्रांसपोर्टर्स और एनटीपीसी के बीच का भ्रष्टाचार और गहरा हो गया है।
टूटी सड़कों और हादसों का सिलसिला
ओवरलोडिंग का सबसे बुरा असर स्थानीय ग्रामीणों पर पड़ रहा है। भारी ट्रकों के कारण सड़कों की हालत खस्ताहाल हो गई है। जगह-जगह गड्ढे और उखड़ा डामर दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। हाल ही में गतौरा-जयरामनगर पुल भी टूट गया, जो ओवरलोड ट्रकों के भार का सीधा परिणाम था। इन हादसों के साथ-साथ सड़क से उठने वाली धूल और राखड़ ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डाल रही है।
एनटीपीसी सीपत से जुड़ा यह मामला सिर्फ भ्रष्टाचार का नहीं, बल्कि प्रशासनिक निष्क्रियता का भी है। ओवरलोडिंग के कारण न केवल राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि आम जनता को भी इससे गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्टर्स, एनटीपीसी अधिकारी और आरटीओ के अधिकारियों की मिलीभगत ने इस भ्रष्टाचार को और बढ़ावा दिया है। अब देखना होगा कि प्रशासन इस पर क्या कदम उठाता है, क्योंकि क्षेत्रीय ट्रांसपोर्टर वेलफेयर एसोसिएशन सीपत ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दे दी है।