बिलासपुर। बिलासपुर के सरकंडा थाना पुलिस पर गंभीर आरोप लगे हैं। बस्तर जिले के करपावंड तहसील में पदस्थ नायब तहसीलदार ने आरोप लगाया है कि थाना प्रभारी तोपसिंग नवरंग और अन्य पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट, गाली-गलौच की और झूठे केस में फंसाने की धमकी दी। यह मामला अब विवाद और जांच का विषय बन चुका है।
यह घटना 17 नवंबर की रात की है। तहसीलदार अपने भाई और पिता के साथ हावड़ा-सु.फा. एक्सप्रेस से बिलासपुर लौट रहे थे। उनके मुताबिक, रात करीब 1:35 बजे डीएलएस कॉलेज के पास हनुमान मंदिर के नजदीक पुलिसकर्मियों ने उनकी गाड़ी को रुकने का इशारा किया। तहसीलदार ने अपनी पहचान बताई, लेकिन इसके बावजूद पुलिसकर्मी ने उनके साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किया।
तहसीलदार का आरोप है कि उन्हें जबरन सरकंडा थाने ले जाया गया, जहां उन्हें शराब पीने का झूठा आरोप लगाकर धमकाया गया। पुलिस ने बार-बार उन्हें एल्कोहल मीटर में फूंकने के लिए मजबूर किया और मेडिकल जांच के नाम पर उन्हें सिम्स अस्पताल भी ले जाया गया, लेकिन कोई मेडिकल परीक्षण नहीं हुआ।
कलेक्टर के हस्तक्षेप का असर नहीं
इस दौरान तहसीलदार के भाई ने बिलासपुर कलेक्टर से संपर्क किया। हालांकि, कलेक्टर के हस्तक्षेप के बावजूद थाना प्रभारी ने कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि कलेक्टर की बात को अनसुना करते हुए एसपी से संपर्क करने की सलाह दी।
वीडियो बनाने पर भाई के साथ मारपीट
घटना के दौरान तहसीलदार के भाई ने पुलिस की कार्रवाई का वीडियो बनाने की कोशिश की, लेकिन पुलिसकर्मियों ने उनके साथ भी मारपीट की और उनका मोबाइल जब्त कर लिया। इसके बाद उनके मोबाइल से सारे वीडियो और दस्तावेज़ डिलीट कर दिए गए। पुलिस ने तहसीलदार और उनके परिवार को रात 4:21 बजे रिहा किया और मोबाइल वापस किया।
परिवार में भय और मानसिक आघात
इस घटना से तहसीलदार और उनका परिवार मानसिक रूप से आहत है। उन्होंने उच्च अधिकारियों से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका दावा है कि पुलिस की ज्यादती ने उनके परिवार को गहरे मानसिक तनाव में डाल दिया है और इस घटना से वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
पुलिस का पक्ष: सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप
इस मामले पर सरकंडा थाने के पुलिसकर्मियों ने उल्टा तहसीलदार और उनके भाई पर सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया है। पुलिस का दावा है कि रात की गश्त के दौरान तहसीलदार और उनके परिवार ने पुलिस के साथ झगड़ा किया और उनके पास पहचान पत्र भी नहीं था। पुलिस ने तहसीलदार पर नशे में होने का भी आरोप लगाया है।
एफआईआर दर्ज
सरकंडा थाने में एफआईआर संख्या 1450/2024 दर्ज की गई है। इसमें तहसीलदार और उनके परिवार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 221, 296 और 351(2) के तहत सरकारी कार्य में बाधा डालने और पुलिसकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोप लगाए गए हैं।
एसपी की प्रतिक्रिया
इस मामले पर बिलासपुर के एसपी रजनेश सिंह ने कहा कि नायब तहसीलदार द्वारा की गई शिकायत की जांच की जा रही है। उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मामले की गंभीरता और जांच की उम्मीद
इस घटना ने बिलासपुर के प्रशासनिक और पुलिस तंत्र को सवालों के घेरे में ला दिया है। तहसीलदार द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों के बाद जिला प्रशासन से मामले की जांच की उम्मीद की जा रही है। अब यह देखना होगा कि जांच के बाद क्या निष्कर्ष निकलता है और क्या आरोप सही साबित होते हैं या नहीं।
यह घटना एक संवेदनशील मुद्दा बन गई है, जिसमें पुलिसकर्मियों पर अधिकारों के दुरुपयोग और तहसीलदार पर सरकारी कार्य में बाधा डालने के आरोप आमने-सामने हैं। अब जांच ही इस घटना की सच्चाई का खुलासा करेगी।