बिलासपुर। एक बार फिर प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के बीच विवाद सुर्खियों में है। यह मामला तब तूल पकड़ा जब बस्तर के नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा ने सरकंडा थाना प्रभारी तोपसिंह नवरंग पर गाली-गलौज और दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। इस घटना के बाद पुलिस विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी को लाइन अटैच कर दिया।
बस्तर में पदस्थ नायब तहसीलदार पुष्पराज मिश्रा अपनी बीमार मां से मिलने बिलासपुर पहुंचे थे। देर रात गश्त पर निकली सरकंडा पुलिस टीम ने उन्हें पूछताछ के लिए रोका और थाने ले गई। इसके बाद, रात करीब पौने दो बजे सरकंडा थाना प्रभारी और पुष्पराज मिश्रा के बीच फोन पर बातचीत हुई। आरोप है कि इस दौरान थाना प्रभारी ने न केवल बदसलूकी की, बल्कि गाली-गलौज और धमकी भी दी।
नायब तहसीलदार का ज्ञापन और आरोप: घटना के बाद, पुष्पराज मिश्रा ने कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि सरकंडा थाना प्रभारी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और उनकी प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई। मिश्रा ने मारपीट और गाली-गलौज का गंभीर आरोप लगाते हुए मामले की जांच और कार्रवाई की मांग की।
पुलिस विभाग की कार्रवाई: मामले की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस विभाग ने तत्काल कदम उठाया और सरकंडा थाना प्रभारी तोपसिंह नवरंग को लाइन अटैच कर दिया। विभागीय जांच शुरू कर दी गई है और उच्च अधिकारियों ने निष्पक्ष कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
प्रशासन और पुलिस के बीच समन्वय पर सवाल: यह घटना प्रशासन और पुलिस विभाग के बीच समन्वय की कमी को उजागर करती है। नायब तहसीलदार जैसे वरिष्ठ अधिकारियों के साथ इस तरह की घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि आम जनता के लिए भी चिंता का विषय है।
आगे की जांच और संभावित परिणाम: कलेक्टर और एसपी ने मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है। इस घटना का अंतिम नतीजा क्या होगा, यह जांच रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट होगा। लेकिन इस तरह की घटनाएं प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं।
इस विवाद ने न केवल जिले में हलचल मचा दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि कानून और प्रशासनिक प्रक्रिया के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता है। अब यह देखना होगा कि मामले की जांच के बाद क्या कदम उठाए जाते हैं और दोषियों को क्या सजा मिलती है।