बिलासपुर। भारत में न्याय प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा लोक अदालतें (People’s Courts) हैं, जो न्यायालय में लंबित मामलों के निपटारे के लिए तेजी और कम लागत वाली एक वैकल्पिक विधि प्रदान करती हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने हाल ही में आयोजित बैठक में इस तथ्य पर विशेष जोर दिया कि नेशनल लोक अदालतों के माध्यम से अधिक से अधिक मामलों का आपसी सहमति से निपटारा किया जाना चाहिए।
नेशनल लोक अदालत का महत्व
नेशनल लोक अदालतें उन मामलों के समाधान का माध्यम हैं, जहां पक्षकार आपसी सहमति से विवाद का निपटारा करने के लिए तैयार होते हैं। यह प्रक्रिया न्यायालय में लंबित मामलों की संख्या को कम करती है, और न्यायिक अधिकारियों को अन्य जटिल मामलों में ध्यान केंद्रित करने का अवसर देती है।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इस संदर्भ में 10 दिसंबर 2024 को आयोजित बैठक में कहा कि जिस गति से न्यायालयों में लंबित मामलों की संख्या बढ़ रही है, उसे देखते हुए लोक अदालतों का आयोजन और भी जरूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि पक्षकारों की आपसी सहमति से मामलों का निपटारा न केवल पक्षकारों के लिए बल्कि न्यायालयों के लिए भी लाभप्रद होता है।
प्री-लिटिगेशन का महत्व
बैठक के दौरान, प्री-लिटिगेशन मामलों के निराकरण पर भी विशेष जोर दिया गया। बैंकों, वित्तीय संस्थाओं, बीमा कंपनियों, और विद्युत वितरण कंपनियों जैसे संगठनों द्वारा प्रस्तुत प्री-लिटिगेशन आवेदनों का समाधान न्यायालय में आने से पहले ही हो जाए, तो इससे न्यायालयों पर मामलों का बोझ कम होगा।
प्री-लिटिगेशन निपटारा प्रक्रिया में, विवाद को न्यायालय में दाखिल होने से पहले ही सुलझाने का प्रयास किया जाता है। इससे न केवल विवादित पक्षों का समय और पैसा बचता है, बल्कि न्यायालयों के पास आने वाले मामलों की संख्या भी घटती है।
पक्षकारों की सहमति से समाधान
लोक अदालतें पक्षकारों के सहमति-आधारित समाधान के लिए जानी जाती हैं। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कहा कि लोक अदालतों का मुख्य उद्देश्य राजीनामा योग्य मामलों का निपटारा करना है, और इसके लिए न्यायाधीशों, वकीलों, और अन्य संबंधित अधिकारियों को मिलकर काम करना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि नेशनल लोक अदालतों में न केवल आपराधिक मामलों का निपटारा होता है, बल्कि सिविल मामलों, वित्तीय मामलों, और पारिवारिक विवादों का भी सफल समाधान होता है।
आगामी नेशनल लोक अदालत
छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार 14 दिसंबर 2024 को वर्ष की अंतिम नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। इस लोक अदालत में विशेष रूप से उन मामलों पर ध्यान दिया जाएगा, जो आपसी सहमति से निपटाए जा सकते हैं।
मुख्य न्यायाधीश ने इस आयोजन की तैयारी के लिए सभी न्यायाधीशों और संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि वे अधिक से अधिक राजीनामा योग्य मामलों को चिन्हित करें और उनका विधिवत समाधान सुनिश्चित करें।
लोक अदालतें न्यायिक प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो विवादों के निपटारे में तेजी लाने और न्यायालयों पर बोझ को कम करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा द्वारा किए गए निर्देश इस बात को प्रमाणित करते हैं कि लोक अदालतें न्याय की दिशा में समन्वित और सहमति-आधारित प्रयासों की आवश्यकता पर बल देती हैं। 14 दिसंबर 2024 को आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगी।