बिलासपुर। लोकतांत्रिक प्रक्रिया को पारदर्शी और प्रभावी बनाए रखने के लिए कई नियम-कानून बनाए गए हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण नियम यह है कि चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों पर कोई सरकारी टैक्स या लोन बकाया नहीं होना चाहिए। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में इस नियम का प्रभाव साफ देखा जा रहा है, जहां अंत्यावसायी विकास समिति के बकायादारों को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है।
1850 बकायादार हितग्राही
बिलासपुर जिले में अंत्यावसायी विकास समिति के तहत 1850 बकायादार ऐसे हैं, जिन्होंने स्वरोजगार के लिए लिए गए ऋण का भुगतान नहीं किया है। इन बकायादारों के ऊपर लगभग 10 करोड़ रुपये की राशि बकाया है। इनमें अकेले बिलासपुर नगर निगम क्षेत्र के 1108 हितग्राही शामिल हैं। बाकी बकायादार ग्रामीण और नगरीय निकायों में फैले हुए हैं, जैसे मल्हार, तखतपुर, बिल्हा, कोटा और रतनपुर।
चुनाव लड़ने पर प्रभाव
चुनाव प्रक्रिया में नामांकन के समय यह अनिवार्य किया गया है कि उम्मीदवार सरकारी कर और ऋण से मुक्त हों। जिन बकायादारों ने अब तक अपने लोन का भुगतान नहीं किया है, उन्हें नामांकन के दौरान एनओसी (नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट) प्रस्तुत करना होगा। कलेक्टर द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, यदि बकायादार उम्मीदवार एनओसी नहीं जमा करते, तो उनके नामांकन पत्र रद्द किए जा सकते हैं।
समिति की भूमिका और चुनौतियां
अंत्यावसायी विकास सहकारी समिति का उद्देश्य अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक और सफाई कर्मचारियों को स्वरोजगार के लिए सहायता प्रदान करना है। यह ऋण अत्यंत किफायती ब्याज दरों पर दिए जाते हैं। इसके बावजूद, कई लाभार्थी समय पर ऋण चुकाने में विफल रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, इनमें से कुछ लाभार्थियों ने 20-25 साल से भी अधिक समय से ऋण नहीं चुकाया है।
समस्या के मूल कारण
1. आर्थिक अस्थिरता: कई लाभार्थी अपने स्वरोजगार को सफलतापूर्वक स्थापित नहीं कर पाए, जिससे ऋण चुकाना मुश्किल हो गया।
2. जागरूकता की कमी: बकायादारों को यह समझ नहीं है कि ऋण चुकाना न केवल उनकी नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि भविष्य में किसी भी वित्तीय सहायता के लिए यह अनिवार्य है।
3. सख्ती की कमी: वर्षों से ऋण अदायगी को लेकर कड़ी कार्रवाई न होने से लोग लोन भुगतान को गंभीरता से नहीं लेते।
समाधान और आगे की राह
1. प्रोत्साहन योजनाएं: बकायादारों के लिए आसान किस्त योजनाएं लाई जा सकती हैं, जिससे वे बिना किसी दंड के ऋण चुका सकें।
2. जागरूकता अभियान: ऋण की अदायगी के महत्व को समझाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए।
3. कानूनी कार्रवाई: जो लोग बार-बार चेतावनी के बावजूद भुगतान नहीं करते, उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।
चुनाव प्रक्रिया में सुधार
यह कदम, जहां एक ओर चुनाव प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाएगा, वहीं दूसरी ओर बकायादारों पर अपने वित्तीय दायित्वों को पूरा करने का दबाव भी डालेगा। इस पहल से यह संदेश जाएगा कि सार्वजनिक जीवन में आने के लिए आर्थिक और सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना अनिवार्य है।
बिलासपुर जिले में बकायादारों को चुनाव लड़ने से रोकने का कदम एक आवश्यक सुधार की ओर संकेत करता है। यह न केवल सरकारी धन की वसूली सुनिश्चित करेगा, बल्कि राजनीतिक प्रक्रिया में जिम्मेदारी और पारदर्शिता भी लाएगा। हालांकि, इसके साथ यह भी जरूरी है कि ऋण चुकाने की प्रक्रिया को आसान और अधिक समावेशी बनाया जाए, ताकि जरूरतमंद लाभार्थी वित्तीय मदद पाने से वंचित न हों।