Wednesday, December 18, 2024
Homeबिलासपुरमुर्गा खाकर भी लोन नहीं देने का आरोप निकला गलत ?: एसबीआई...

मुर्गा खाकर भी लोन नहीं देने का आरोप निकला गलत ?: एसबीआई शाखा प्रबंधक पर लगा था आरोप, बैंक प्रबंधन ने बताया निराधार…

बिलासपुर। हाल ही में मस्तुरी विकासखंड के ग्राम सरगंवा निवासी रूपचंद मनहर द्वारा लगाए गए आरोपों ने स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया है। मनहर का आरोप था कि एसबीआई मस्तुरी शाखा प्रबंधक ने उनसे मुर्गा खाकर भी उनका ऋण आवेदन स्वीकृत नहीं किया। इस मामले ने तूल पकड़ा और क्षेत्रीय बैंक प्रबंधन ने मामले की जांच कराई।

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि शिकायतकर्ता रूपचंद मनहर ने अपनी शिकायत को लेकर कोई ठोस प्रमाण या विवरण प्रस्तुत नहीं किया। वहीं, बैंक प्रबंधन और शाखा प्रबंधक ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया।

जांच रिपोर्ट के अनुसार, मनहर का ऋण आवेदन पूर्व में ही अस्वीकृत किया जा चुका था। बैंक ने यह भी स्पष्ट किया कि मनहर के परिवार के दो सदस्यों—उनके पुत्र और पत्नी—को पूर्व में अलग-अलग ऋण स्वीकृत किए गए थे। हालांकि, इनमें से एक ऋण राइट-ऑफ की स्थिति में है और दूसरा एनपीए घोषित हो चुका है। ऐसे में शाखा प्रबंधक द्वारा नए ऋण आवेदन को स्वीकृत न करना बैंकिंग नियमों और नीतियों के अनुसार उचित है।

मनहर के आरोपों ने बैंकिंग प्रणाली की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करने का प्रयास किया, लेकिन जांच में यह सिद्ध हुआ कि यह आरोप पूरी तरह से निराधार थे। यह मामला न केवल बैंक और ग्राहक के बीच के विश्वास को नुकसान पहुंचा सकता था, बल्कि समाज में गलत संदेश भी दे सकता था।

यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है—क्या ग्राहकों द्वारा इस प्रकार के निराधार आरोप लगाकर बैंकिंग प्रणाली पर दबाव डालना सही है? बैंकिंग नियम और प्रक्रियाएं सभी ग्राहकों के लिए समान हैं। अगर कोई व्यक्ति अपने ऋण आवेदन के अस्वीकृत होने पर इस तरह के आरोप लगाता है, तो यह बैंक की छवि और विश्वसनीयता को ठेस पहुंचा सकता है।

ऋण प्रक्रिया के तहत बैंक प्रबंधन का दायित्व है कि वह नियमों और ग्राहकों की पात्रता का आकलन कर ऋण स्वीकृत करे। हालांकि, कुछ मामलों में ग्राहक यह समझने में असफल रहते हैं कि उनकी वित्तीय स्थिति या पिछले ऋणों का प्रदर्शन उनके नए ऋण आवेदन पर असर डाल सकता है।

समाज के लिए सीख
यह घटना यह सिखाती है कि किसी भी प्रकार के आरोप लगाने से पहले तथ्यों और सच्चाई को जानना आवश्यक है। बैंक और ग्राहक के बीच पारदर्शिता और भरोसे का रिश्ता होना चाहिए। साथ ही, ग्राहकों को अपनी वित्तीय जिम्मेदारियों को समझकर ही ऋण आवेदन करना चाहिए।

मनहर द्वारा लगाए गए आरोपों की सत्यता न होने से यह मामला भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन यह सोचने पर मजबूर करता है कि समाज में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जाए। बैंकिंग प्रणाली का सम्मान और विश्वास बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि दोनों पक्ष जिम्मेदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य करें।

spot_img
RELATED ARTICLES

Recent posts

error: Content is protected !!