राजनांदगांव जिले में पुलिस भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियों के बीच एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। भर्ती घोटाले के संदर्भ में कांस्टेबल अनिल रत्नाकर ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने प्रशासनिक व्यवस्था और पुलिस विभाग की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आत्महत्या से पहले कांस्टेबल ने अपने बांये हाथ की हथेली पर लिखा सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने अधिकारियों पर गहरे आरोप लगाए हैं।
मृतक कांस्टेबल अनिल रत्नाकर ने अपने सुसाइड नोट में लिखा, “अधिकारी को बचाने के लिए कर्मचारी को फंसाया जा रहा है। इसमें सभी इनवाल्व हैं।” यह आरोप पुलिस भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और साजिश की ओर इशारा करता है। कांस्टेबल का दावा है कि घोटाले में बड़े अधिकारी शामिल हैं, लेकिन उन्हें बचाने के लिए छोटे कर्मचारियों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
अनिल रत्नाकर पुलिस भर्ती के दौरान फिजिकल टेस्ट प्रक्रिया की निगरानी में शामिल था। भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियां सामने आने के बाद उसे संदिग्ध मानते हुए प्रक्रिया से अलग कर दिया गया था। इसी दबाव और आरोपों के बीच अनिल ने पेड़ से लटककर आत्महत्या कर ली। घटना के बाद पुलिस ने मृतक के परिजनों के आने का इंतजार किया और शव को फंदे से उतारा गया।
घटना के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। उन्होंने संदेह जताया कि यह आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या हो सकती है। बघेल ने कहा, “क्या किसी बड़े खिलाड़ी को बचाने के लिए यह बलि दी गई है? क्या यह एक सुनियोजित षड्यंत्र है?” उन्होंने पूरे मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।
राजनांदगांव जिले में पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ियां पहले ही उजागर हो चुकी हैं। एसपी मोहित गर्ग ने मामले में लालबाग थाने में एफआईआर दर्ज करवाई है। भर्ती प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को लेकर कई सवाल खड़े हो चुके हैं।
परिवार की पीड़ा और न्याय की मांग
मृतक कांस्टेबल अनिल रत्नाकर के परिजन इस घटना से बेहद दुखी हैं। वे प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं। परिजनों का कहना है कि अनिल मानसिक दबाव में था और उसे जानबूझकर फंसाया जा रहा था।
मामले की व्यापक जांच की जरूरत
इस घटना ने छत्तीसगढ़ में पुलिस व्यवस्था और भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सुसाइड नोट में लगाए गए आरोप बेहद गंभीर हैं और यह मामला केवल एक व्यक्ति की मौत तक सीमित नहीं है। इसकी व्यापक जांच से ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि इस आत्महत्या के पीछे कौन जिम्मेदार है और क्या सच में बड़े अधिकारी इस घोटाले में शामिल हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार और पुलिस विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मामले की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच हो। मृतक कांस्टेबल को न्याय और दोषियों को सजा दिलाना ही इस मामले का सही समाधान हो सकता है।