छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी का बड़ा मामला सामने आया है। भर्ती प्रक्रिया के दौरान भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों के बाद चार पुलिस आरक्षक और दो तकनीकी टीम के कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है। इस घटनाक्रम ने न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है बल्कि सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा किया है।
राजनांदगांव जिले में 16 नवंबर से पुलिस आरक्षक भर्ती प्रक्रिया चल रही थी। 17 दिसंबर को लालबाग थाना में भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी को लेकर FIR दर्ज हुई। जांच के बाद शनिवार को छह आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार आरोपियों में दो महिला आरक्षक (पुष्पा चंद्रवंशी और परिधि निषाद), आरक्षक धर्मराज मरकाम, आरक्षक योगेश उरांव, और टाइम एंड टेक्नोलॉजी कंपनी, हैदराबाद के दो कर्मचारी (नुतेश्वरी धुर्व और पवन कुमार साहू) शामिल हैं। सभी को न्यायिक रिमांड पर भेज दिया गया है।
गिरफ्तारियों के सबूत
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल रिकॉर्ड और पूछताछ के आधार पर सबूत जुटाए हैं। एडिशनल एसपी राहुल देव शर्मा ने कहा कि मामले में पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। जांच में अन्य दोषियों की पहचान के लिए आगे की कार्रवाई जारी है।
भर्ती प्रक्रिया में आत्महत्या की छाया
भर्ती गड़बड़ी के इस मामले ने एक नया मोड़ तब लिया जब लालबाग थाना क्षेत्र में रामपुर के पास एक पुलिस आरक्षक, अनिल रत्नाकर, ने आत्महत्या कर ली। अनिल का नाम भी इस भर्ती घोटाले में संदिग्धों की सूची में था। इस घटना ने न केवल पुलिस प्रशासन की साख पर सवाल उठाए हैं बल्कि मानसिक दबाव और भ्रष्टाचार के दुष्प्रभावों को भी उजागर किया है।
राजनीतिक विवाद
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक वीडियो शेयर करते हुए सरकार को घेरा और आरोप लगाया कि घोटाले के दोषियों को बचाने के लिए निर्दोषों को बलि का बकरा बनाया जा रहा है।
सिस्टम में सुधार की आवश्यकता
यह घटना बताती है कि पुलिस भर्ती प्रक्रिया जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में भी पारदर्शिता और सख्त निगरानी की कमी है। ऐसे मामलों में सिर्फ दोषियों को सजा देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि सिस्टम में सुधार लाना और भर्ती प्रक्रिया को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना आवश्यक है।
आगे का रास्ता
जांच जारी है, और उम्मीद की जा रही है कि इस गड़बड़ी में शामिल अन्य लोगों को भी पकड़ा जाएगा। इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्रशासनिक सुधार और पारदर्शिता के बिना भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना मुश्किल है। सरकार और पुलिस विभाग को अपनी साख बचाने के लिए सख्त कदम उठाने होंगे।
पुलिस भर्ती जैसे संवेदनशील मामलों में इस तरह की गड़बड़ी न केवल प्रशासन पर सवाल उठाती है, बल्कि जनता के विश्वास को भी कमजोर करती है। इसे रोकने के लिए त्वरित और कठोर कार्रवाई जरूरी है। प्रशासन और जनता को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।