Monday, January 6, 2025
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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या: ठेकेदार सुरेश चंद्राकर का भाई को पुलिस ने किया गिरफ्तार, जानिए मुख्यमंत्री और PCC अध्यक्ष की प्रतिक्रिया…

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। तीन दिनों से लापता 35 वर्षीय पत्रकार का शव एक सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। उनके शव पर मिले चोटों के निशान और गला घोंटने के प्रमाण इस निर्मम हत्या की भयावहता को उजागर करते हैं। इस घटना ने प्रदेशभर में पत्रकार सुरक्षा को लेकर बहस छेड़ दी है।

मुकेश चंद्राकर के मोबाइल की आखिरी लोकेशन के आधार पर पुलिस ने बीजापुर के चट्टान पारा इलाके में जांच की। संदिग्ध ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के बाड़े के पास एक सेप्टिक टैंक तोड़ा गया, जहां से उनका शव बरामद हुआ। पुलिस ने बताया कि मुकेश के सिर पर नुकीले हथियारों और कुल्हाड़ी के वार के गंभीर निशान थे। इस आधार पर उनकी हत्या को निर्ममता से अंजाम दिया गया है।

एसपी डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि इस मामले में ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के भाई को गिरफ्तार किया गया है, जबकि अन्य आरोपी फरार हैं। पुलिस सभी संभावित एंगल से जांच कर रही है। इस हत्या के पीछे मुकेश चंद्राकर की निर्भीक पत्रकारिता और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी आवाज उठाने की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इस घटना को पत्रकारिता जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताते हुए अपराधियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर सजा दिलाने का आश्वासन दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह घटना हृदयविदारक है, और सरकार पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने घटना को भयावह बताते हुए भाजपा शासित प्रदेशों में पत्रकारों की सुरक्षा पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आज पत्रकारों को सच दिखाने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है। मुकेश चंद्राकर जैसे तेजतर्रार पत्रकार का जाना समाज के लिए एक बड़ी क्षति है।”

मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे प्रदेश के पत्रकारों में आक्रोश भर दिया है। पत्रकार संगठनों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया और सुरक्षा की मांग की। उन्होंने प्रदेश सरकार से दोषियों को सख्त सजा दिलाने और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की।

इस घटना ने पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मुकेश चंद्राकर की हत्या न केवल उनकी निर्भीक पत्रकारिता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पत्रकारिता को दबाने के लिए अपराधी किस हद तक जा सकते हैं।

मुकेश चंद्राकर की हत्या की यह घटना केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, बल्कि यह समाज की आवाज को चुप कराने का प्रयास है। दोषियों को सजा और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना अब सरकार और पुलिस प्रशासन की बड़ी जिम्मेदारी है।

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