Friday, April 18, 2025
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पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या पर प्रदेश भर में आक्रोश: बिलासपुर प्रेस क्लब में आपात बैठक और मौन जुलूस से बाद ज्ञापन…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। इस घटना ने पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बिलासपुर प्रेस क्लब ने इस गंभीर मुद्दे पर चर्चा के लिए शनिवार को आपात बैठक बुलाई, जिसमें घटना की निंदा और भविष्य में पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की गई।

घटना की न्यायिक जांच की मांग
प्रेस क्लब के सदस्यों ने सर्वसम्मति से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में इस हत्याकांड की जांच कराने की मांग की। पत्रकारों ने कहा कि निष्पक्ष जांच के बिना इस हत्या के पीछे के कारणों का पता लगाना संभव नहीं है। बैठक के दौरान मृतक पत्रकार मुकेश चंद्राकर को श्रद्धांजलि देते हुए 2 मिनट का मौन रखा गया।

मौन जुलूस और ज्ञापन
बैठक के बाद, बिलासपुर प्रेस क्लब के सभी सदस्य मौन जुलूस निकालते हुए कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने एडिशनल कलेक्टर के माध्यम से राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में निम्नलिखित मांगें प्रमुख रहीं:

  • 1. पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाए।
  • 2. हाई कोर्ट के न्यायाधीश की निगरानी में हत्याकांड की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
  • 3. मृतक पत्रकार के परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए।
  • 4. मैदानी क्षेत्र में काम करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।

केंद्रीय गृहमंत्री को प्रतिलिपि
इसके अलावा, केंद्रीय आवास राज्य मंत्री तो तोखन साहू को भी ज्ञापन सौंपा गया। इसकी प्रतिलिपि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक को भेजी गई। पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि वे इस मामले में न्याय मिलने तक संघर्ष करते रहेंगे।

पत्रकारिता पर बढ़ता खतरा
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ, पत्रकारिता, आज गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है। ऐसे में पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।

समाज और सरकार की जिम्मेदारी
मुकेश चंद्राकर की हत्या सिर्फ एक व्यक्ति का मामला नहीं है; यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है। पत्रकार सिर्फ खबरें नहीं लिखते; वे समाज के सवालों को आवाज देते हैं। उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना न केवल सरकार का दायित्व है, बल्कि समाज का भी नैतिक कर्तव्य है।

छत्तीसगढ़ की पत्रकारिता जगत इस घटना से आहत है और न्याय की उम्मीद कर रही है। इस मामले में शीघ्र कार्रवाई और ठोस कदम उठाकर सरकार यह संदेश दे सकती है कि लोकतंत्र में सच्चाई की आवाज को दबाया नहीं जा सकता।

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