Tuesday, January 7, 2025
Homeक्राइमशहीद पत्रकार मुकेश चंद्राकर: घोटाले का खुलासा, सच की कीमत दर्दनाक मौत...

शहीद पत्रकार मुकेश चंद्राकर: घोटाले का खुलासा, सच की कीमत दर्दनाक मौत से चुकाई, दिल दहलाने वाली पोस्टमार्टम रिपोर्ट…

बस्तर, बीजापुर। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है, लेकिन जब यही स्तंभ सच उजागर करने की कोशिश करता है, तो कई बार इसे बर्बरता और हिंसा का सामना करना पड़ता है। बस्तर के बीजापुर में पत्रकार मुकेश चंद्राकर की दर्दनाक हत्या इसका एक भयावह उदाहरण है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से जो सच सामने आया है, वह केवल रोंगटे खड़े करने वाला ही नहीं, बल्कि हमारे समाज और व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाने वाला है।

शहीद पत्रकार मुकेश के शरीर पर जो जख्म मिले हैं, वे सिर्फ हिंसा की पराकाष्ठा नहीं हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि यह हत्या सोची-समझी और योजनाबद्ध थी।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार:

  • – सिर पर 15 फ्रैक्चर
  • – हार्ट फटा हुआ
  • – लीवर के 4 टुकड़े
  • – 5 पसलियां टूटी हुईं
  • – गर्दन टूट चुकी थी

यहां तक कि पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने भी स्वीकार किया कि अपने पूरे करियर में उन्होंने इतना भयावह मामला नहीं देखा। ये चोटें स्पष्ट करती हैं कि हमलावरों का मकसद सिर्फ हत्या नहीं, बल्कि बर्बरता की सारी हदें पार करना था।

मुकेश चंद्राकर ने ठेकेदारों द्वारा किए जा रहे करोड़ों के घोटाले को उजागर किया था। यह सच्चाई न केवल भ्रष्टाचारियों को नागवार गुजरी, बल्कि उन्होंने इसे अपनी ताकत के लिए खतरा मान लिया। मुकेश की हत्या ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सच बोलने वालों की राह कितनी खतरनाक हो सकती है।

इससे यह भी सवाल उठता है कि जब एक पत्रकार, जो समाज की आवाज बनने की कोशिश कर रहा था, को इतनी दर्दनाक मौत दी जा सकती है, तो आम जनता के साथ क्या होता होगा?

सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए 11 सदस्यीय एसआईटी का गठन किया है, जिसका नेतृत्व आईपीएस मयंक गुर्जर कर रहे हैं। फॉरेंसिक टीम वैज्ञानिक और तकनीकी सबूतों के आधार पर जांच कर रही है। उम्मीद है कि जल्द ही दोषियों को गिरफ्तार कर न्यायिक प्रक्रिया के तहत सजा दी जाएगी।

सरकार ने यह भी आश्वासन दिया है कि वह न्यायालय से इस मामले में स्पीड ट्रायल की मांग करेगी ताकि दोषियों को जल्द से जल्द कड़ी सजा दी जा सके।

मुकेश की हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। लोग खुलकर कह रहे हैं कि इतनी दर्दनाक मौत किसी दुश्मन को भी न मिले। सभी की एक ही मांग है कि दोषियों को फांसी की सजा दी जाए।

मुकेश चंद्राकर की हत्या केवल एक व्यक्ति की हत्या नहीं है, यह पूरी पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि क्या आज सच बोलना और भ्रष्टाचार उजागर करना इतना खतरनाक हो गया है कि इसके लिए जान गंवानी पड़े?

शहीद पत्रकार को श्रद्धांजलि

मुकेश चंद्राकर ने अपने कर्तव्य के लिए जान दी। उनका बलिदान न केवल पत्रकारिता जगत के लिए प्रेरणा है, बल्कि यह समाज और सरकार के लिए भी एक चेतावनी है कि हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जहां सच बोलने वाले सुरक्षित रहें।

उनकी शहादत हमें यह सिखाती है कि सच को दबाया जा सकता है, लेकिन खत्म नहीं किया जा सकता। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को जिंदा रखें और सुनिश्चित करें कि उनके दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।

मुकेश चंद्राकर के परिवार, समाज और पत्रकारिता जगत को इस घाव का भरना आसान नहीं होगा, लेकिन उनका बलिदान हमें अन्याय के खिलाफ खड़े होने की ताकत देता रहेगा।

“सच के लिए लड़ने वाले को भले ही मार दिया जाए, पर सच को कभी दबाया नहीं जा सकता।”

spot_img
RELATED ARTICLES

Recent posts

error: Content is protected !!